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 जिंदगी पुरुष, स्त्री किसी के लिए भी आसां नहीं : अनुजा चंद्रमौलि | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

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जिंदगी पुरुष, स्त्री किसी के लिए भी आसां नहीं : अनुजा चंद्रमौलि

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। लेखिका अनुजा चंद्रमौलि का कहना है कि स्त्री या पुरुष किसी के लिए भी जिंदगी आसां नहीं है। हाल में अनुजा की पौराणिक या दूसरे शब्दों में कहें तो नारीवादी किताब ‘शक्ति’ का विमोचन हुआ।

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। लेखिका अनुजा चंद्रमौलि का कहना है कि स्त्री या पुरुष किसी के लिए भी जिंदगी आसां नहीं है। हाल में अनुजा की पौराणिक या दूसरे शब्दों में कहें तो नारीवादी किताब ‘शक्ति’ का विमोचन हुआ।

अनुजा ने आईएएनएस को बताया कि एक वक्त ऐसा भी था, जब उन्हें महसूस हुआ कि महिलाओं के प्रति दुनिया बड़ी जालिम है, क्योंकि अक्सर ऐसा लगा कि यह केवल मर्दो की दुनिया है जहां सारे ऐश पुरुषों के हिस्से आए हैं।

उन्होंने कहा, “शक्ति’ कोशिश करने का एक प्रयास है..मैं लैंगिकता के अंतर को समझती हूं।”

अनुजा ने कहा कि उन्हें महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बारे में जानकर ‘बहुत तकलीफ’ हुई।

उन्होंने स्त्री और पुरुष के बीच के वैर की वजह और उसके संभावित समाधान को जानने की कोशिश की।

पूर्व में कामदेव और अर्जुन पर किताबें लिखने वाली अनुजा ने कहा, “शक्ति’ नारीत्व और उन सभी चीजों के बुनियादी संतुलन का जश्न है, जहां पुरुष एवं स्त्री शक्तियों का एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करने की बजाय सही सामंजस्य के साथ सह-अस्तित्व हो।”

अनुजा दिव्य दैवी ‘शक्ति’ के प्रति मोहित हैं और अपनी किताब ‘शक्ति’ को अपना अब तक का ‘सबसे हिम्मती प्रयास’ बताती हैं।

अनुजा ने तय कर लिया है कि उनकी अगली किताब किस किरदार पर आधारित होगी। उन्होंने इसे एक ‘जैविक प्रक्रिया’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि पौराणिक शैली में भारतीय लेखनी तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसका श्रेय अमीश, आनंद नीलकांतन और देवदत्त पटनायक जैसे लेखकों को जाता है। वह लेखन के इस कांटे के मुकाबले में स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए इस सोच के साथ चलती हैं कि ‘समझ लो कि दूर-दूर तक कोई नहीं है और आपके प्रतिद्वंद्वी क्या कर रहे हैं, इसमें दिमाग दौड़ाने की बजाय अपना काम करते रहो।’

अनुजा ने पौराणिक शैली की किताबों से थोड़ा ब्रेक लेने का निर्णय लिया है और शायद फंतासी की शैली का रुख करें। उन्हें विदेशी लेखक जॉर्ज आर.आर. मार्टिन, बिल वैटरसन और टेरी ब्रुक्स से बहुत प्रेरणा मिली है।

अनुजा ने कहा, “भारतीय लेखकों में मैं वेद व्यास और बाराद्वाज रंगन से प्रभावित हूं।”

273 पृष्ठों वाली ‘शक्ति’ बाजार में 295 रुपये में उपलब्ध है।

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