नई दिल्ली, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक के एनजीओ को खामियों के बावजूद लाइसेंस जारी करने के आरोप में केंद्र सरकार द्वारा गृह मंत्रालय के एक आईएएस अधिकारी सहित चार अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई पर वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी नाराजगी जताई है।
नई दिल्ली, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक के एनजीओ को खामियों के बावजूद लाइसेंस जारी करने के आरोप में केंद्र सरकार द्वारा गृह मंत्रालय के एक आईएएस अधिकारी सहित चार अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई पर वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी नाराजगी जताई है।
गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के एक समूह ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि से मिलकर मामले में संयुक्त सचिव जी.के. द्विवेदी के निलंबन पर अपना विरोध जताया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर कुछ अधिकारियों ने केंद्रीय गृह सचिव से सप्ताहांत में मुलाकात की।
गृह मंत्रालय के चार अधिकारियों को एक सितंबर को इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस में खामियों के बावजूद नवीनीकरण किए जाने पर निलंबित किया गया था।
ढाका में एक जुलाई को हुए आतंकी हमले में 22 लोगों के मारे जाने के बाद कट्टरपंथी विचारों के प्रचार की वजह से नाईक की पीस टीवी और उनके भाषण भी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के जांच के दायरे में आ गए।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, जाकिर नाईक पीस टीवी के जरिए कट्टरवादी इस्लामी विचारों को बढ़ावा दे रहा था।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह सचिव से कहा कि विदेश सेल में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात द्विवेदी का निलंबन गैरजरूरी है, क्योंकि खामियों के लिए उनके जूनियर जिम्मेदार हैं।
सूत्रों के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि द्विवेदी के खिलाफ की गई कार्रवाई हतोत्साहित करने वाली है। एक वरिष्ठ अधिकारी के काम और लगन को ध्यान में रखते हुए फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय और गृह मंत्री राजनाथ सिंह एनजीओ आईआरएफ को जारी किए गए एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण के बाद नाराज हो गए थे।
सूत्रों ने कहा कि एनजीओ ने ऑनलाइन तरीके से 19 अगस्त को लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। जबकि नाईक के खिलाफ एक जांच चल रही थी।
सूत्रों के मुताबिक निलंबित आईएएस अधिकारी द्विवेदी नरेंद्र मोदी सरकार की कई पसंदीदा परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों और दूसरे अल्पसंख्यकों को लंबी अवधि के वीजा और नागरिकता की पेशकश शामिल है।
उन्होंने भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) के कार्ड योजना का भारतीय विदेशी नागरिक (ओसीआई) के कार्ड योजना के साथ विलय पर भी काम किया है।