Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 जहां बालों में तेल लगाकर स्वागत की है परंपरा | dharmpath.com

Monday , 21 April 2025

Home » धर्मंपथ » जहां बालों में तेल लगाकर स्वागत की है परंपरा

जहां बालों में तेल लगाकर स्वागत की है परंपरा

नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। सुना है आपने कहीं ऐसा? यह कोई अजीबो-गरीब बात नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सम्मान की बात है। मिथिला, जहां भगवान राम की पत्नी सीता अवतरित हुईं, पली-बढ़ी थीं, वहां आज भी अतिथियों के स्वागत-सत्कार का खास ध्यान दिया जाता है।

नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। सुना है आपने कहीं ऐसा? यह कोई अजीबो-गरीब बात नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सम्मान की बात है। मिथिला, जहां भगवान राम की पत्नी सीता अवतरित हुईं, पली-बढ़ी थीं, वहां आज भी अतिथियों के स्वागत-सत्कार का खास ध्यान दिया जाता है।

मिथिला में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है। शादी के बाद आमतौर पर महिलाओं के नाम में देवी शब्द का प्रयोग किया जाता है। जब महिला अतिथि किसी के घर जाती हैं तो उन्हें उनके बालों में तेल लगाकर स्वागत किया जाता है। बुजुर्ग महिलाएं अपने पैर फैलाकर बैठती हैं और अतिथि सत्कार में जुटी घर की अन्य महिलाएं धीरे-धीरे उनके पैर सहलाती हैं। इस आतिथ्य सत्कार के समय गीत-नाद की भी परंपरा है।

तेल लगाने के बाद उनके बालों को संवारा भी जाता है। महिला अतिथि की पसंद के अनुसार या तो बालों की गुत्थी (मैथिली में गुत्थी को जुट्टी गूहना और अंग्रेजी में इस गुत्थी को ब्रेडेड हेयर कहते हैं) बनाया जाता है और या तो खोपा य अंग्रेजी का ‘बन’ बनाया जाता है। इन सबके बीच हास्य-व्यंग्य भी चलता रहता है। ननदें हास्य-व्यंग्य भरा गाना गाकर इस माहौल में चार चांद लगा देती हैं- “खोपा बाली दाइ गै, हमरे भौजाइ गै, खोपा पर बैसलौ बिरहिनियां गै खोपा खोल-खोल-खोल।”

कई बार मौसम के अनुसार, बाल के अलावा पैरों में भी तेल लगाया जाता है। इस अतिथि सत्कार में मेजबान खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। यह क्रिया महिलाओं के बीच होता है। पुरुषों के बीच वैवाहिक अनुष्ठान के समय आए बाराती जब दूसरे दिन का ठहराव करते हैं तो स्नानपूर्व उनके शरीर में तेल लगाया जाता है। तेल लगाने वाले व्यक्ति को मैथिली में खबास कहते हैं।

एक पुरुष खबास, जो परिवार के बाहर का सदस्य होता है, वही सभी बारातियों के शरीर पर तेल लगाता है। खबास द्वारा तेल लागवाया जाना यह मिथिला में पूर्वकाल में प्रचलित था, आजकल बाराती स्वयं अपने हाथों से तेल लगाते हैं।

बच्चों एवं बच्चियों के बालों में भी तेल लगाया जाता है। तेल से स्वागत का वैज्ञानिक आधार है। इसलिए बालों में नारियल तेल के प्रयोग का रिवाज मिथिला में इतना खास है कि अतिथियों का स्वागत नारियल तेल लगाकर किया जाता है। इस तेल में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। इसके प्रयोग से मस्तिष्क में शीतलता बनी रहती है और इसके दैनिक प्रयोग से कई प्रकार के चर्मरोगों का नाश होता है। आजकल जिसे रूसी कहते हैं, नारियल तेल के प्रयोग से वह खत्म हो जाता है। साथ ही इसके प्रयोग से एक्जिमा जैसी बीमारी भी दूर हो जाती है।

किसी महिला अतिथि का स्वागत अगर बिना तेल लगाए किया जाता है तो वे व्यंग्य के स्वर में (व्यंग्य स्वर को मैथिली में उलहन देना कहते हैं) कहती हैं, “आइ फलांक ओत’ एक विशेष कार्यक्रम में हम गेल रही, ओत कियो एको खुरचनि तेलो नै देलक, माथा सुखैले रहि गेल।” मतलब, सिर में तेल न लगाकर उन्होंने हमारा अपमान किया। मिथिला की आम बोलचाल की भाषा में स्पून को खुरिचैन या खुरचनि बोला जाता है। यह खुरचन सीप य घोंघे का होता है।

मिथिला में अतिथियों के स्वागत का पूरा ध्यान रखा जाता है। आजकल लोग जहां बालों को खूबसूरत रखने के लिए इतने पैसे खर्च करते हैं, वहीं मिथिला के लोगों के बाल प्राकृतिक रूप से सुंदर, लंबे, काले और घने होते हैं। मिथिला के लोग पैसा खर्च किए बगैर भी बालों में प्रतिदिन तेल के प्रयोग करने मात्र से ही अपने बालों का अच्छे से रखरखाव या केयर कर पाते हैं, उन्हें कुछ और करने की जरूरत भी नहीं पड़ती।

मिथिलांचल में खान-पान में पौष्टिकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही रेशेदार खाना खाने और खाना बनाने में सरसों के तेल का प्रयोग किया जाता है। मिथिला का भौगोलिक क्षेत्र कुछ ऐसा है कि वहां सरसों की खेती काफी होती है। दक्षिण भारत में जहां नारियल तेल खाद्य है। उसी तरह उत्तर भारत में सरसों तेल खाद्य है। सरसों तेल का प्रयोग यहां के दैनिक खान-पान की संस्कृति का एक हिस्सा है।

मिथिला की संस्कृति कुछ ऐसी है कि वहां के लोग सुख-दुख के साथी होते हैं। विपन्नता में संपन्नता देखनी हो तो आइए मिथिलांचल और स्वयं रूबरू होइए मिथिला की महान सांस्कृतिक परंपराओं से।

(लेखक डॉ. बीरबल झा मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन व ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंधन निदेशक हैं)

जहां बालों में तेल लगाकर स्वागत की है परंपरा Reviewed by on . नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। सुना है आपने कहीं ऐसा? यह कोई अजीबो-गरीब बात नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सम्मान की बात है। मिथिला, जहां भगवान राम की पत्नी सीता अवतरित नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। सुना है आपने कहीं ऐसा? यह कोई अजीबो-गरीब बात नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सम्मान की बात है। मिथिला, जहां भगवान राम की पत्नी सीता अवतरित Rating:
scroll to top