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 जल-संरक्षण के लिए गहन चिंतन और मनन आवश्यक | dharmpath.com

Tuesday , 8 April 2025

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जल-संरक्षण के लिए गहन चिंतन और मनन आवश्यक

indexभोपाल : राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहाँ विज्ञान संवाद का शुभारंभ करते हुए कहा कि जल ही जीवन है, इस बात को ध्यान में रखकर जल-संरक्षण और संवर्धन के लिए गहन चिंतन, मनन और मंथन की आवश्यकता है। वर्तमान में आवास और सड़क निर्माण योजनाएँ बनाते समय जल की निकासी और जल-स्रोतों तक पानी पहुँचने में रुकावट न आये इसकी समुचित व्यवस्था करना चाहिए। कार्यक्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद, एनआईटीटीटीआर, डब्लू डब्लू एफ तथा एनएसएस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस मौके पर टेक्निकल एडवाइजर कमेटी (जल-स्रोत) के चेयरमेन प्रो जी.एस. रूढवाल, सदस्य सचिव डॉ. पाम्पोष कुमार और एनआईटीटीटीआर के डायरेक्टर प्रो वी.के. अग्रवाल उपस्थित थे।

राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि अनुसंधान तथा शोध, विज्ञान और विकास की निरंतर प्रक्रिया है। अनुसंधान और शोध से देश का विकास होता है और प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि युवा वैज्ञानिकों और छात्र-छात्राओं के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं। हमारा देश और प्रदेश आज ऐसे स्थान पर खड़ा है जहाँ हमें एकीकृत प्रयासों के जरिये पिछली उपलब्धियों से आगे बढ़कर श्रेष्ठ कार्यक्रम, अनुसंधान और शोध को गति देना है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ता छात्रों की आर्थिक और अन्य समस्याओं को त्वरित रूप से हल कर उन्हें हरसंभव सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का प्रयास करना चाहिए। राज्यपाल श्री यादव ने युवा वैज्ञानिक और छात्र-छात्राओं से कहा कि ज्ञान के साथ चरित्र और नैतिक मूल्य जीवन में होना बहुत आवश्यक है।

मुख्य अतिथि डॉ. जी.एस. रूढ़वाल ने कहा कि जल-संरक्षण और संवर्धन के लिए जन- जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। इसके जरिये लोगों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझना चाहिए। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या, जल आपदा के लिए सबसे बड़ी समस्या है। डा.रूढवाल ने कहा कि औद्योगीकरण और रोजमर्रा के जीवन में पानी की बढ़ रही खपत को कम करना वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने पानी के पुन: उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि पानी की बचत ही इस समस्या का हल है। एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रो. विकास अग्रवाल ने कहा कि जल, विश्व-स्तर की ज्वलंत समस्या है। विकास की रफ्तार को बढ़ाने की धुन में हम पंच तत्व को पीछे छोड़ देते हैं। इसके लिए हमें समन्वय स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं सचेत होना होगा अन्यथा हम भयंकर आपदा से बच नहीं सकते हैं।

राज्यपाल श्री यादव और अतिथियों का स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में माधवराव सप्रे संग्रहालय के संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर, वैज्ञानिक, छात्र-छात्राएँ और मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

 

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