नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)। भारत और बांग्लादेश के बीच सामुद्रिक जहाजरानी समझौता और बांग्लादेश के चटगांव तथा मोंगला बंदरगाहों का उपयोग द्विपक्षीय वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए होने से संबंधित समझौते से दोनों देशों का आपसी व्यापार बढ़ेगा।
नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)। भारत और बांग्लादेश के बीच सामुद्रिक जहाजरानी समझौता और बांग्लादेश के चटगांव तथा मोंगला बंदरगाहों का उपयोग द्विपक्षीय वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए होने से संबंधित समझौते से दोनों देशों का आपसी व्यापार बढ़ेगा।
छह जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ढाका यात्रा के दौरान कई अन्य समझौतों के साथ इन दोनों समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें 1972 प्रोटोकॉल5 ऑन इनलैंड वाटरवेज ट्रांजिट एंड ट्रेड (पीआईडब्ल्यूटीटी) में संशोधन भी शामिल है।
चटगांव और मोंगा बंदरगाह और कोलकाता बंदरगाह तथा हल्दिया डॉक प्रणाली गंगा डेल्टा में स्थित है। समझौते के तहत बांग्लादेश के दोनों बंदरगाह का उपयोग भारत से त्रिपुरा के अगरतला, मेघालय के डॉकी और असम के सुतरकंडी तक माल भेजन में किया जाएगा।
पहले दोनों देशों से समुद्री मार्ग से माल एक-दूसरे देश भेजने के लिए पहले उसे कोलंबो, सिंगापुर या मलेशिया के क्लांग में भेजना पड़ता था, जहां से इसे दूसरे जहाज में लाद कर बांग्लादेश भेजना पड़ता था।
1972 के द्विपक्षीय व्यापार समझौते के नवीनीकरण से जहां भारत को पूवरेत्तर तक पहुंचने का आसान मार्ग मिल गया, वहीं बांग्लोदश को भी नेपाल और भूटान तक के लिए पारगमन सुविधा मिल गई।
भारतीय सहायता से बांग्लोदश त्रिपुरा से लगी सीमा पर एक पुल का निर्माण कर रहा है। जो त्रिपुरा के सबरूम को 72 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से चटगांव से जोड़ता है। यानी चटगांव बंदरगाह के बाद इस रास्ते से माल को त्रिपुरा तक पहुंचाया जा सकता है।
साथ ही अगरतला और बांग्लादेश के ब्रह्मणबरिया जिले के अखौरा तक 15 किलोमीटर लंबा रेल संपर्क स्थापित किया जा रहा है, जो 2017 तक पूरा होगा। अखौरा रेलमार्ग के जरिए चटगांव से जुड़ा हुआ है। इसलिए चटगांव से रेलमार्ग से भी माल पूर्वोत्तर तक पहुंच सकता है।
इसी मार्ग से पूर्वोत्तर के राज्य भारत के अन्य राज्यों को माल भेज सकते हैं।
द्विपक्षीय समझौतों के बारे में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा, “अभी तक हमारा अधिकतर आपसी व्यापार सड़क मार्गो से होता रहा है। समुद्री मार्गो से होने वाला व्यापार अत्यधिक दूरी पर स्थिति बंदरगाहों के जरिए होता रहा है। सामुद्रिक जहाजरानी समझौते का लाभ यह होगा कि भारत और बांग्लादेश के बीच जहाजों की नियमित आवाजाही शुरू हो जाएगी। इससे पहले जो यात्रा 30-40 दिनों में पूरी होती थी, वह अब घटकर सात से 10 दिन की रह जाएगी।”
इसके अलावा कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-शिलांग-गुवाहाटी बस सेवा शुरू किए जाने से भी आम लोगों का संपर्क बढ़ेगा।