नई दिल्ली, 27 सितंबर\i सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालतों से हस्तगत अधिकार के दायरे में रहते हुए प्रभारी रूप से न्याय प्रदान करने की जवाबदेही का निर्वाह करने की उम्मीद की जाती है, फिर भी जब अभियोजन पक्ष की आरोपी के साथ सांठगांठ का संदेह सामने आए तो वे सच को उजागर करें। न्यायमूर्ति एम.वाई. इकबाल और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने शुक्रवार को सुनाए गए अपने फैसले में कहा है, “अदालतों से कर्तव्य का निर्वाह करने और प्रभावी रूप से काम करने और जो गरिमा एवं प्राधिकार उन्हें प्रदान किया गया है उसकी भावना की रक्षा करने की उम्मीद की जाती है।”
पीठ के लिए फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति इकबाल ने कहा, “ऐसे मामले में जहां अभियोजन एजेंसी की भूमिका सवालों में घिरी हो और उसका आरोपी के साथ सांठगांठ होने का आभास हो और वह बनावटी लड़ाई और आपराधिक न्याय प्रशासन का मजाक बनाया जा रहा तो अदालतों से न्याय प्रदान करने के महत्तम कर्तव्य और जवाबदेही पैदा हो जाती है।”
शीर्ष अदालत ने दहेज हत्या के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना नजरिया रखा।