नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश के जनसेवकों में सेवा की भावना और भारतीय संविधान के आदर्शो और उसके दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ नैतिक मूल्य होने चाहिए।
शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति ने यहां राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार को भूटान सरकार के दो अधिकारियों सहित भारतीय राजस्व सेवा के 182 परिवीक्षा अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने विचारों, कल्पनाओं और तर्को का उपयोग देश की सेवा में करें।
उन्होंने कहा, “नागरिक सेवकों को कौशल और ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों की जरूरत होती है, जिनमें ईमानदारी, सार्वजनिक सेवा की भावना और इन सब के साथ भारतीय संविधान में सन्निहित आदर्शो और दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “देश की उच्च नागरिक सेवाओं को आदर्श बनना चाहिए। युवा अधिकारियों को चुनौतियां स्वीकार करनी चाहिए और श्रद्धा एवं विश्वास कायम रखने के साथ उन पर खरा उतरना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “नागरिक सेवकों की गुणवत्ता किसी भी प्रशासन प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अच्छी सार्वजनिक नीति महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका लागू होना ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
मुखर्जी ने 1970 के दशक से लेकर वर्ष 2012 तक इस विभाग साथ अपने संबंध को याद किया और एक संगठन के तौर पर इसकी प्रगति और रूपांतरण की प्रशंसा की।