(खुसुर-फुसुर)– मप्र की राजनीति से निर्वासित प्रभात झा मप्र के एक जुगाडू मंत्री की दोस्ती के चलते सत्ता प्रमुख को डरा कर राज्यसभा और उसके बाद दिल्ली प्रभारी का पद ले आये.लेकिन दिल्ली में उनसे भी बड़े लोगों ने उनका नेतृत्व अस्वीकार किया और किरण बेदी की एंट्री और भी भड़काऊ रही.
जब ऐन चुनाव के समय अमित शाह ने दिल्ली की स्थिति देखि तो वे बूथ स्तर तक दौड़ लगाने लगे लेकिन तब तक चिड़िया उड़ चुकी थी.अब झा साहब के होश गुम हैं करें क्या? अमित शाह को तो …………… नहीं सकते .सूत्र कह रहे हैं जंह…जंह पैर पड़े झा के ……………तंह…तंह बंटाधार.