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Saturday , 12 April 2025

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छोटे बच्चों को कैसे दें सीपीआर

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। जब कोई छोटा बच्चा डूबने, करंट लगने, दम घुटने, जहर या फेफड़ों की बीमारी की वजह से सांस नहीं ले पा रहा हो तो घबराएं नहीं, तुरंत एंबुलेंस को फोन करें और सीपीआर देना शुरू कर दें। सीपीआर ऐसे बच्चों की मदद कर सकती है और उनकी जान बचा सकती है।

तुरंत सीपीआर देकर छोटे बच्चों की जान बचाई जा सकती है। अभिभावकों को शांत रहना चाहिए और बच्चे की मदद करनी चाहिए। वरना हालत और भी बिगड़ सकती है। बच्चों के मामलों में सीपीआर के साथ मुंह से मुंह में सांस देने की जरूरत पड़ती है। यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने दी।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, “बच्चे को सख्त और सूखी स्तह पर पीठ के बल लेटा दें और दो उंगलियों से बच्चे की छाती के बीचों बीच दस गुना दस कुल सौ बार प्रति मिनट की गति से 2 इंच तक दबाते रहना चाहिए। तीस बार इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद एक बार मुंह से मुंह में सांस देनी चाहिए। पीड़ित का सिर पीछे ले जा कर, उसका नाक बंद करें और उसके मुंह से दो लंबी सांसे उसके मुंह में दें। जब तक मरीज होश में ना आ जाए या मेडिकल सुविधा ना पहुंच जाए तब तक छाती दबाने की प्रक्रिया को जारी रखें।”

जिन बच्चों को हाईपोथर्मिया या शरीर का तापमान कम हो उन्हें तब तक सीपीआर देते रहना चाहिए जब तक उनके तापमान सामन्य नहीं हो जाता। हाल ही में एक बच्चे को डूबने के दो घंटे बाद होश में लाया जा सका, इसलिए हाईपोथर्मिया के मामले में बच्चे को बचाने के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है।

छोटे बच्चों को कैसे दें सीपीआर Reviewed by on . नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। जब कोई छोटा बच्चा डूबने, करंट लगने, दम घुटने, जहर या फेफड़ों की बीमारी की वजह से सांस नहीं ले पा रहा हो तो घबराएं नहीं, तुरंत एंबु नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। जब कोई छोटा बच्चा डूबने, करंट लगने, दम घुटने, जहर या फेफड़ों की बीमारी की वजह से सांस नहीं ले पा रहा हो तो घबराएं नहीं, तुरंत एंबु Rating:
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