रायपुर – छत्तीसगढ़ सरकार ने पहली से आठवीं तक छात्रों को दी जाने वाली जनरल प्रमोशन बंद करने का निर्णय लिया है। यानी अब पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को परीक्षाएं देनी होंगी, मगर कोई फेल घोषित नहीं किया जाएगा।
वर्ष 2009 में राज्य में लागू हुए शिक्षा का अधिकार कानून के तहत इन विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेने और पास या फेल करने की प्रक्रिया बंद कर उन्हें ग्रेड के माध्यम से अगली परीक्षाओं में प्रवेश दिया जा रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार इस सिस्टम को बदलने की तैयारी में है और ये नई व्यवस्था इसी सत्र में लागू कर दी जाएगी। यानी अब परीक्षाएं तो होगीं, लेकिन कोई फेल नहीं होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजभवन में शिक्षकों के सम्मान समारोह में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पहली से पांचवीं तक जनरल प्रमोशन दिया जा रहा है। अब इसे बंद किया जा रहा है। बच्चों को तिमाही, छमाही और साल पूरा होने पर टेस्ट देने होंगे। स्कूलों को तय सीमा पर सिलेबस पूरा करना होगा। यदि शिक्षक कोर्स पूरा करने में पिछड़ते हैं तो उन्हें अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर कोर्स पूरा करना होगा। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पहली से आठवीं तक के छात्रों को फेल नहीं किया जा रहा था। उन्हें मूल्यांकन कर ए, बी, सी, डी और ई ग्रेड प्रदान कर दिए जाते थे। लेकिन अब छात्रों को तिमाही, अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं देनी होंगी। इसके साथ ही छात्रों को प्रगति पत्रक भी दिए जाएंगे, जिससे बच्चों, शिक्षकों व अभिभावकों को बच्चे के पढ़ाई का स्तर पता लग सकेगा।
शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने कहा, “शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा था। परीक्षाएं न लेने और पास कर दिए जाने से पढ़ाई के प्रति शिक्षक और छात्र दोनों लापरवाह हो गए थे। अब सतत मूल्यांकन के साथ लिखित परीक्षाएं भी लेंगे। हालांकि बच्चों को फेल तो अब भी नहीं किया जाएगा।”
वहीं पूर्व शिक्षा संचालक ए.बी. दुबे ने कहा, “परीक्षा का महत्व खत्म हो जाने से शिक्षा का कबाड़ा ही होगा। यदि कानून में फेल न करने का प्रावधान है तो कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन यह बात बच्चों को न बताई जाए।”
स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव सुब्रत साहू ने कहा, “अभी शासन स्तर पर घोषणा की गई है। फेल-पास की पॉलिसी को लेकर कुछ तय नहीं है। एक-दो दिनों में बैठक लेकर शिक्षा के अधिकार कानून का नए सिरे से अध्ययन किया जाएगा। उसके बाद ही तय किया जाएगा कि बच्चों को फेल किया जाएगा या नहीं।”