रायपुर, 18 मार्च (आईएएनएस)। पहले ही नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में अलकायदा के जेहादी जत्थे बनाने में प्रतिबंधित संगठन सिमी के आतंकियों ने रायपुर को इसलिए चुना था कि यहां आसानी से वे अपना मंसूबा पूरा कर सकते थे।
दरअसल नक्सलवाद से जुड़े मामलों में खुफिया एजेंसियों के व्यस्त होने का फायदा सिमी से जुड़े आतंकी उठाना चाह रहे थे। उन्हें यकीन था कि नक्सलवाद पर छत्तीसगढ़ खुफिया एजेंसी का पूरा ध्यान लगा हुआ है, इसलिए उनकी गतिविधियों पर किसी की निगाह नहीं पड़ेगी।
इससे पहले खुफिया विभाग और रायपुर पुलिस ने मिलकर तेजी से खड़े हो रहे सिमी के स्लीपर सेल को तोड़कर रख दिया। सिमी का यह माड्यूल ही प्रशिक्षण प्राप्त अलकायदा का जेहादी जत्था निकला था।
रायपुर रेंज के आईजी जीपी सिंह का कहना है कि अलकायदा से जुड़े दो आतंकियों (संदेहियों) की हमें तलाश है। पुलिस के हाथ इन तक जल्द ही पहुंच जाएंगे। एनआईए की चार्जशीट में वे सारी बाते हैं, जो हमारी जांच में सामने आ चुकी हैं।
पुलिस के आला अफसरों की मानें तो उमेर सिद्दीकी समेत 16 के पकड़े जाने के बाद सिमी का छत्तीसगढ़ में फैला नेटवर्क लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन जांच में दो ऐसे और संदेहियों के नाम सामने हैं, जिनके लिंक अलकायदा से जुड़े निकले हैं। इन प्रशिक्षण प्राप्त आंतकियों की तब से तलाश जारी है। आने वाले दिनों में इन्हें गिरफ्तार कर लेने का दावा पुलिस अफसरों ने किया है।
रायपुर रेंज के आईजी जीपी सिंह ने बताया कि उमेर सिद्दकी से जुड़े जिस माड्यूल को हमने पकड़ा था। वे लोग बड़ी साजिश के तहत रायपुर में एकत्र होकर देशभर में बम ब्लॉस्ट की योजना बना रहे थे। बोधगया ब्लॉस्ट का मुख्य आरोपी हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह और उमेर सिद्दीकी मिलकर राजधानी के मुस्लिम युवकों का माइंड वाश कर रहे थे।
सिमी से जुड़े इन युवकों को जेहाद की ट्रेनिंग देकर अफगानिस्तान भेजने की पूरी तैयारी की गई थी। वहां पर युवकों को आतंकवादी संगठन अलकायदा के लिए काम करने के लिए तैयार किया गया था।
उमेर ने 27 अक्टूबर 2013 को पटना में हुए बम ब्लॉस्ट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वह अपने साथियों को सिमी का जेहादी जत्था बनाकर मान बम के रूप में तैयार करके बड़ी वारदात के फिराक में लगा था, लेकिन इससे पहले पुलिस ने आतंक के इस पूरे खेल का पदार्फाश कर दिया।