विभाग ने जो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है, उसके अनुसार मैगी में लेड की मात्रा मानकों के अंदर है। जानकारों का मानना है कि राज्य में मैगी की सप्लाई गोवा स्थित नेस्ले यूनिट से हो रही है, जहां मैगी में लेड नहीं मिला था। इस तरह से यह मैगी के निर्माता और इसे खाने के शौकीनों के लिए राहत भरी खबर है।
गौरतलब है कि मैगी का छत्तीसगढ़ में 30 मई को पहला सैंपल लिया गया था, जिसके बाद से 18 सैंपल प्रयोगशाला में पहुंचे। प्राथमिक जांच के बाद इनका कंफर्मेटिव टेस्ट लगाया गया, जिसमें हानिकारक तत्व लेड की पुष्टि नहीं हुई है। 9 सैंपल में लेड की मात्रा शून्य पाई गई, जबकि 9 में मात्रा 0.02 से 0.239 पीपीएम तक पाई गई।
गाइड लाइन के मुताबिक, किसी भी खाद्य पदार्थ में लेड की मात्रा 0.01 से 2.5 पीपीएम तक हो सकती हैए इससे अधिक होने पर इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। वर्तमान में राज्य में मैगी की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगी हई है। सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने दुकानदारों से मैगी वापस ले ली है, जो नेस्ले को वापस लौटाई जा चुकी है। सिर्फ भनपुरी स्थित महावीर लॉजिस्टिक में ही 13600 कार्टन मैगी सीज रखी हुई हैए जिसे जल्द ही वापस भेजा जाएगा।
केंद्र के निर्देश के बाद राज्य में मैगी के अलावा पास्ता, मैक्रोनी की सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। कुछ सैंपल प्रयोगशाला पहुंचे, जिनके टेस्ट लगाने शुरू कर दिए गए हैं। इनमें भी लेड की जांच की जा रही है।
राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के पब्लिक एनालिस्ट डॉ. एसएस तोमर ने कहा कि जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि छत्तीसगढ़ में मैगी ठीक हैं। इसमें कोई हानिकारक तत्व नहीं है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 18 सैंपल की जांच की गई, जिनमें से 9 सैंपलों में लैड की मात्रा शून्य, बाकी 9 सैंपल में तय मानक के अंदर पाई गई है। जांच रिपोर्ट में जो तथ्य आए हैं उसे केंद्रीय शाखा को भेजा जाएगा।