बस्तर-पाटजात्रा रस्म के लिए (ठुरलू खोटला) पहली मुख्य लकड़ी ग्राम बिलोरी के ग्रामीण माचकोट जंगल से लेकर पहुंचते हैं। इसके साथ ही रथ का निर्माण शुरू हो जाता है।
हरेली अमावस्या पर होने वाले कार्यक्रम में महापौर जतिन जायसवाल, पूर्व महापौर किरण देव, पूर्व निगम अध्यक्ष योगेंद्र पांडे, जिला पंचायत अध्यक्ष जबिता मंडावी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। वहीं मंदिर समिति के सदस्यों का कहना है कि पाट जात्रा के साथ ही रथ का निर्माण शुरू हो जाता है। बस्तर दशहरा में शामिल होने देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
इस वर्ष दशहरा पर्व के अंतर्गत डेरी गड़ाई पूजा सीरसार में 26 सितंबर को होगी। तब अलग गांव से सरगी पेड़ की टहनियां लाकर सीरासार भवन में स्थापित किया जाएगा। 12 अक्टूबर की शाम काछनगादी पूजा के साथ होगी। इसमें जाति विशेष की नाबालिक लड़की बेल कांटों के झूले में बैठकर राजपरिवार के सदस्यों को पर्व की अनुमति देती है। दूसरे दिन नवरात्र के साथ कलश स्थापना होगी। 14 अक्टूबर को जोगी बिठाई और 15-20 अक्टूबर तक रथ परिचालन होगा।
21 अक्टूबर को महाष्टमी की निशाजात्रा, 22 अक्टूबर को जोगी बिठाई, कुंवारी पूजा ओश्र मावली परघाव की रस्म पूरी की जाएगी। 23 को भीतर रैनी और रथ परिचालन और चोरी होगी। दूसरे दिन 24 अक्टूबर को बाहर रैनी पर कुम्हड़ाकोट में विशेष पूजा और शाम को रथ वापसी होगी।
25 को काछन जात्रा और मुरिया दरबार लगेगा। 26 अक्टूबर को कुटूंब जात्रा के साथ देवी-देवताओं को विदाई। इसके दूसरे दिन 27 अक्टूबर को दंतेवाड़ा के माईजी की डोली की विदाई के साथ पर्व का समापन होगा।