नतीजतन, राहत शिविर को रोशन रखने का एक मात्र विकल्प सौर ऊर्जा ही है। जगरगुंडा के अलावा छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरहद पर स्थित मरईगुड़ा में भी शिविरों में रह रहे परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए सौर ऊर्जा को बेहतर विकल्प के रूप में अपनाया गया है।
जगरगुंडा राहत शिविर में रह रहे परिवारों के घरों को सोलर होम लाईट संयंत्र मॉडल 2 द्वारा रोशन किया गया है। कैम्प में रात्रिकालीन सुरक्षा व्यवस्था के लिए सोलर सिस्टम द्वारा प्रकाश की समुचित व्यवस्था भी की गई है।
थाना परिसर में दो किलो वाट क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट की स्थापना भी की गई है। कैम्प परिसर में 600 वाट क्षमता वाले दो नग अतिरिक्त सोलर पावर पैक भी स्थापित किए गए हैं।
अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण के प्रदीप महेश्वरी के मुताबिक, जगरगुंडा सहित अंदरूनी इलाकों में जहां बिजली की व्यवस्था नहीं है, सोलर सिस्टम के जरिए प्रकाश व पेयजल की समुचित व्यवस्था के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।