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 छत्तीसगढ़ : चमत्कार मानकर ‘मशरूम’ की पूजा! | dharmpath.com

Monday , 21 April 2025

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छत्तीसगढ़ : चमत्कार मानकर ‘मशरूम’ की पूजा!

रायपुर, 5 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सोरम गांव के लोग इधर 10 दिनों से एक पीपल पेड़ की जड़ों के पास स्वत: प्रकट हुई एक अजीबो-गरीब आकृति की पूजा कर रहे हैं। ग्रामीण पूजा-पाठ, नारियल-अगरबत्ती और रुपये-पैसे चढ़ाकर बकायदा आशीर्वाद भी ले रहे हैं। यह आकृति और कुछ नहीं, एक मशरूम है।

रायपुर, 5 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सोरम गांव के लोग इधर 10 दिनों से एक पीपल पेड़ की जड़ों के पास स्वत: प्रकट हुई एक अजीबो-गरीब आकृति की पूजा कर रहे हैं। ग्रामीण पूजा-पाठ, नारियल-अगरबत्ती और रुपये-पैसे चढ़ाकर बकायदा आशीर्वाद भी ले रहे हैं। यह आकृति और कुछ नहीं, एक मशरूम है।

इस आकृति को चमत्कारी बताकर प्रचारित किया जा रहा है। गांव के एक जागरूक नागरिक ने गांव में फैल रहे अंधविश्वास की जानकारी अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति को दी। समिति ने गत रविवार को इस गांव का दौरा किया और पाया कि यह तथाकथित चमत्कारिक आकृति और कुछ नहीं, एक फंगस है जिसे मशरूम, वैज्ञानिक भाषा में एगेरिकस व सामान्य भाषा में फूटू भी कहा जाता है।

अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि पाटन के सोरम गांव में पिछले 10 दिनों से तालाब के किनारे पीपल के पेड़ की जड़ों के पास से एक अजीबो-गरीब आकृति के स्वत: प्रकट हुई। इस आकृति के चमत्कार की चर्चा जोरों से फैली। वहां ग्रामीणों की भीड़ उमड़ने लगी। श्रद्धालु पूजा-पाठ करने लगे।

उन्होंने बताया कि समिति ने गांव का दौरा किया। समिति में डॉ. दिनेश मिश्र के अलावा डॉ. शैलेश जाधव, ज्ञानचंद विश्वकर्मा व मनु सोनी थे। समिति के सदस्यों ने तालाब के पास स्थल पर पहुंचकर उस तथाकथित चमत्कारी आकृति का निरीक्षण किया। समिति के सदस्य ग्रामीणों से मिले और उन्हें समझाने का प्रयास किया।

डॉ. मिश्र ने बताया कि जब समिति के सदस्य पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां ग्रामीणों की भीड़ लगी थी, आकृति की फोटो भी बिक रही थी। श्रद्धालु ग्रामीण मशरूम को नारियल, अगरबत्ती, रुपये-पैसे चढ़ाकर उसे प्रणाम कर आशीर्वाद मांग रहे थे।

समिति के सदस्यों ने उस आकृति का नजदीक से निरीक्षण किया व ग्रामीणों को बताया कि यह मशरूम है जो अपने आप उगा है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि मशरूम सामान्यत: नमी वाले स्थानों में तथा जहां कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध हो, वहां अपने आप उगता है।

उन्होंने बताया कि इस आकृति का जो हिस्सा बाहर दिख रहा है, वह उसका फल है, जो छतरीनुमा या विभिन्न आकारों में व आकृतियों में हो सकता है। इसका निचला हिस्सा यानी जड़ (माइसीलियम) जमीन के अंदर होता है। यह बरसात के मौसम में नमी मिलने से पीपल की जड़ों के बीच उग आया है। यह एक माह तक जीवित रह सकता है।

मशरूम सफेद व रंगीन भी मिलते हैं। सफेद मशरूम जहरीले नहीं होते, जबकि रंगीन मशरूम जहरीले होते हैं। मशरूम में पोषक तत्व अधिक होने के कारण इसे खाद्य पदार्थ के रूप में भी लोग उपयोग करते हैं।

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