छतरपुर मंदिर मूल रूप से मां दुर्गा को समर्पित है। दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश से यहां भक्त एकत्र होते हैं। इस मंदिर की अलग पूजा विधि है। पूजा विधि-
जो साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी अराधना में समर्पित हैं उन्हें दुर्गा पूजा के छठे दिन मां कात्यायनी जी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन हैं। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है
श्लोक-
दुर्गा के छठे रूप को के कात्यायनी के नाम से पूजा जाता है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत ओजमयी है। सिंह पर विराजमान माता शक्ति का स्वरूप हैं। मां की भक्ति द्वारा मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है। मां कत्यायनी की भक्ति प्राप्त करने के लिए भक्त को इस मंत्र का जाप करना चाहिए –
चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
छतरपुर मंदिर में देवी कात्यायनी के अतिरिक्त यहां राधा कृष्ण, शिव-पार्वती, गणेश आदि अन्य देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना की जाती है। एक प्राचीन पेड़ भी वहां देखा जा सकता है जिस पर धागे बांध कर लोग मन्नतें मांगते हैं।