सरकार की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, दोनों अफसरों पर अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 के नियम 3 के तहत कार्रवाई की गई है।
इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में किसी भी प्रकार से दोषी पाए जाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार देर रात आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर आरोप है कि नान घोटाले की जांच के दौरान मिली डायरी के कुछ पन्नों के इर्द-गिर्द ही जांच केंद्रित रखी गई, जबकि डायरी के कई पन्नों में प्रभावशाली लोगों के नाम लिखे गए थे, जिन्हें जांच के दायरे में नहीं लाया गया। ऐसी स्थिति में संदेह पैदा होता है कि जांच को प्रभावित करने के साथ प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच गलत ढंग से की गई।
मुकेश गुप्ता और तत्कालीन एसीबी के एसपी रजनेश सिंह पर अवैध तरीके से फोन टैप कराए जाने की भी शिकायत सामने आई है, जिसे एफआईआर का आधार बनाया गया है।