रायपुर, 23 फरवरी –छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि राज्य में खेती-किसानी फायदे का सौदा बन रही है, यही कारण है कि राज्य में एक साल में ढाई लाख से ज्यादा किसान खेती से जुड़े हैं। राजधानी के तुलसी बाराडेरा फल-सब्जी उपमंडी प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेला 2020 का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को हर हाल में 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की कीमत दी जाएगी। राज्य सरकार धान उत्पादक किसानों को समर्थन मूल्य और 2500 रुपये के अंतर की राशि 685 रुपये देगी। इसी तरह प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसानों को पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रति क्विंटल 55 रुपये का लाभ दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने खेती के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण का दावा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी फायदे का सौदा बन गई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ढाई लाख अधिक किसान खेती-किसानी से जुड़े हैं।
बघेल ने केंद्र सरकार से बायोफ्यूल उत्पादन की अनुमति देने का आग्रह करते हुए कहा कि गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। दुनिया का ध्यान अब ग्रीन एनर्जी की ओर गया है। पेट्रोलियम ईंधन में 20 प्रतिशत तक बायोफ्यूल मिलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है, इसलिए बायोफ्यूल का उत्पादन होने से किसानों को धान की अच्छी कीमत मिलेगी। संयंत्र लगने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पेट्रोलियम ईंधन में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
मुख्यमंत्री ने धान से उत्पादित बायोफ्यूल की कीमत गन्ने से उत्पादित बायोफ्यूल की तरह तय करने का आग्रह भी किया।
बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों ने धान उत्पादन के साथ-साथ गन्ना, फल और सब्जियों के उत्पादन के क्षेत्र में भी अच्छा काम किया है। राज्य सरकार का जोर कृषि लागत कम करने और खेतों तक पानी की उपलब्धता बढ़ाने में है। राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा, “नवनिर्वाचित सरपंच अपने-अपने गांव में चारागाह के लिए जमीन चिन्हित करें। यदि गौठान सुदृढ़ होंगे, तो हर गांव में फसल बचेगी, किसान दूसरी फसल ले सकेंगे और पशुओं के कारण होने वाले एक्सीडेंट भी कम होंगे।”
कृषि मेला के उद्घाटन कार्यक्रम में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, भाजपा नेता और पूर्व कृषिमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किए।