नई दिल्ली, 8 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व प्रमुख के.वी. चौधरी को मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया गया है, जबकि वरिष्ठतम सूचना आयुक्त विजय शर्मा को नया मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) नियुक्त किया गया है। यह घोषणा यहां सोमवार को की गई।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा इन नियुक्तियों को मंजूरी देने के बाद इसकी घोषणा की गई। इन नामों को गत सप्ताह दो अलग-अलग बैठकों में मंजूरी दी गई थी, जब राष्ट्रपति आधिकारिक यात्रा पर थे। ये पद करीब नौ महीने से रिक्त पड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे जहां दोनों समितियों के सदस्य हैं, वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली सीआईसी के चयन के लिए हुई बैठक में मौजूद थे, जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह सीवीसी के चयन के लिए हुई बैठक में मौजूद थे।
प्रदीप कुमार के गत वर्ष 28 सितंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद से सीवीसी का पद रिक्त था, साथ ही गत वर्ष सात सितंबर को सतर्कता आयुक्त जे.एम. गर्ग का कार्यकाल पूरा होने के बाद से यह पद भी रिक्त था।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, 1979 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी और पूर्व सामाजिक न्याय और आधिकारिता सचिव सुधीर भार्गव को केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है, जबकि इंडियन बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक टी.एम. भसीन को सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया गया है।
चौधरी 1979 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने कई प्रमुख आयकर जांच अभियानों का नेतृत्व किया है, जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामला और एचएसबीसी जेनेवा के कर दाताओं की सूची से संबंधित मामला भी शामिल है। वह अभी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा काले धन की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं।
यह पहला मौका है, जब किसी गैर-आईएएस अधिकारी को सीवीसी बनाया गया है।
चौधरी का कार्यकाल छह महीने का होगा, क्योंकि वह एक दिसंबर, 2015 को 65 वर्ष के हो जाएंगे।
22 अगस्त, 2014 को राजीव माथुर के सेवानिवृत्त होने के बाद से सीआईसी का पद खाली पड़ा था।
आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, आयोग में 40 हजार से अधिक मामले लंबित हैं, जिसमें सूचना का अधिकार कानून के तहत दाखिल 32 हजार से अधिक अपील और 7,500 से अधिक शिकायतें शामिल हैं।
इन पदों पर नियुक्तियों में हुई देरी के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना हो रही थी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी की यह कहकर आलोचना की थी कि वह पारदर्शिता से डरते हैं। कई आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ताओं ने भी नियुक्ति में हुई देरी पर सवाल उठाए थे।