पटना, 25 मार्च (आईएएनएस)। लोक आस्था और सूयरेपासना के पर्व चैती छठ के तीसरे दिन बुधवार को पहला अघ्र्य (अस्ताचलगामी) भगवान सूर्य को प्रदान किया गया। राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में गंगा तट से लकर विभिन्न जलाशयों के किनारे हजारों श्रद्धालु अस्त होने वाले सूर्य को अघ्र्य दिया और भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की।
चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन गुरुवार को व्रती सुबह उदित होते सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगी और इसी के साथ छठ पूजा का समापन हो जाएगा।
छठ पर्व को लेकर व्रती गंगा के छठ घाट से लेकर विभिन्न नदियों के तटों, तालाब और जलाशयों पर पहुंचे।
गंगा तटों पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर गंगा घाटों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, औरंगाबाद सहित कई जिलों के गांव से लेकर शहर तक के विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर श्रद्धालु भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य दिया।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार की शाम व्रतियों ने भगवान भास्कर की अराधना की और खरना किया था। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी गुरुवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद व्रती फिर अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगे।
हिंदू परंपरा के अनुसार कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है जिसमें व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।