नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। सौंदर्य विशेषज्ञ और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय शहनाज हुसैन ने हिमाचल विधानसभा चुनाव लड़ रहे विभिन्न उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के दौरान सौंदर्य के माध्यम से चुनाव जीतने के गुर दिए हैं।
शहनाज हुसैन ने बताया की पश्चिमी देशों में चुनावों के दौरान नेताओं में आकर्षक, सुंदर और सु़डौल दिखने की होड़ लग जाती है। ऐसा माना जाता है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के रंग-रूप, सुंदरता और हाव-भाव का मतदाताओं पर सीधा असर पड़ता है और इससे चुनावी नतीजे प्रभावित होते हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न चुनावी विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर किए गए सर्वेक्षण में पता चला है कि युवा, सुंदर और आकर्षक, खुशनुमा और विश्वास से भरे उम्मीदवारों को मतदाता विश्वास योग्य एवं निपुण मानते हैं तथा ऐसे उम्मीदवारों पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं, जिससे उनके जीतने के अवसर ज्यादा बढ़ जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश में नौ नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए चुनाव अभियान ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है।
शहनाज हुसैन ने बताया की सर्दियों की आहट के साथ ही वातावरण में नमी कम होने लगती है जिसमें दिनभर धूप, धूल, मिट्टी, कच्ची सड़कों और प्रदूषण में चुनाव प्रचार अभियान चलाने वाले उम्मीदवारों की त्वचा सूख जाती है और उनके चेहरे पर पपड़ी जम जाती है। इसके साथ ही कील मुहांसे, फोड़े-फुंसी आदि निकल जाते हैं, होंठ भी फट जाते है, बाल उलझ जाते हैं जिससे उम्मीदवारों के व्यक्तित्व पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे उनके प्रति मतदाताओं में आकर्षण कम हो जाता है।
वह कहती हैं कि चुनावों के दौरान उम्मीदवार दिनभर विभिन्न चुनावी सभाएं, नुक्कड़ बैठकें करके उम्मीदवारों को रिझाने की पुरजोर कोशिशें करते हैं। जिसमें वह सूर्य की गर्मी, धूप, मिट्टी तथा प्रदूषण को सीधे तौर पर झेलते हैं। सूर्य की गर्मी और रासायनिक प्रदूषण की वजह से त्वचा का सामान्य संतुलन बिगड़ जाता है। जिसमें त्वचा में रूखापन-चकते, फोड़े-फुंसियां तथा काले धब्बे आने शुरू हो जाते हैं।
उन्होंने बताया की चुनावों के दौरान बालों को धूल, मिट्टी और प्रदूषण से बचाने के लिए नियमित तौर पर हर्बल शैंपू से सिर धोना चाहिए। अक्सर उम्मीदवार प्रत्येक दिन सैकड़ों लोगों से हाथ मिलाते हैं, बच्चों को चूमते हैं या बुजुर्गो के पांव छूते हैं, जिससे उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
वह कहती हैं कि उम्मीदवारों को चुनावी मौसम में अपने हाथ नियमित रूप से हैंड सैनिटाइजर से साफ करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के निचले क्षेत्रों के उम्मीदवारों के चेहरे पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों का सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे त्वचा में नमी की कमी आ जाती है, जिससे चेहरे पर झुर्रिया और रेखाएं पड़ जाती हैं। उम्मीदवरों को अपनी त्वचा खासकर चेहरे की आभा को बचाए रखने के लिए 30 या 40 एसपीएफ सनस्क्रीन लोशनस्क्रीम लगानी चाहिए। यदि उम्मीदवारों को दिनभर 10 से 12 घंटे तक खुले आसमान की धूप में प्रचार करना पड़े तो सनस्क्रीन को दो बार लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालांकि अधिकांश सनस्क्रीन क्रीमों में मॉस्चुराइजर है लेकिन फिर भी यदि आप शिमला के ऊपरी हिस्सों लाहौल-स्पीति, पांगी एभरमौर, किन्नौर जैसे ठंडे स्थानों से चुनाव लड़ रहे हैं तो रूखी त्वचा को सामान्य बनाने के लिए पहले त्वचा पर मॉस्चुराइजर लोशन का लेप करें और कुछ मिनट तक इस लेप को सैटल होने दें एवं उसके बाद सनस्क्रीन लोशन त्वचा पर लगाएं।
शहनाज ने बताया की विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को रात्रि में विश्राम करने से पहले अपनी त्वचा को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। पंजाब से सटे ऊना जैसे जिलों के उम्मीदवार कच्ची सड़कों के जरिए पिछड़े क्षेत्रों, सुदूर गांव में व्यापक चुनाव अभियान चलाते हुए दिन में 10 से 12 घंटों तक सड़कों की धूल खाते है जिससे उनकी त्वचा खराब हो जाती है। वातावरण में विद्यमान विभिन्न हानिकारक रसायनिक प्रदूषणों से बचाव के लिए आजकल चंदन, एलोवेरा, गुलाब, तुलसी आदि संघटक तत्वों से बनी कवर क्रीम भी बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि यदि आप जनजातीय क्षेत्रों लाहौल स्फीति, भरमौर एवं किन्नौर आदि में चुनाव प्रचार कर रहे हैं तो नरीशिंग क्रीम में पानी की कुछ बूंदे डालकर चेहरे की लगातार मसाज कीजिए। चुनावों में सर्दी की वजह से ऊपरी पर्वतीय क्षेत्रों के उम्मीदवारों के होंठ फट जाते हैं तथा इसके लिए रात्रि को होंठो को साफ करने के बाद उन पर बादाम तेल की मालिश करें और इसे रात्रि भर रहने दे। चुनावों में लंबे तथा थकाऊ चुनाव प्रचार के दौरान बालों को मुलायम तथा चमकीला बनाए रखने के लिए उन्हें बार-बार ताजे साफ पानी से धोएं तथा शैंपू का न्यूनतम उपयोग करें।