वाशिंगटन, 29 जनवरी (आईएएनएस)। चीन में लंबी गरदन वाले डायनासोर की एक नई प्रजाति की खोज हुई है, जिसे ‘किजियांगलॉन्ग’ कहा जाता है। इस खोज को अल्बर्टा विश्वविद्यालय के पुरातत्व विज्ञानियों ने अंजाम दिया है।
किजियांगलॉन्ग का अर्थ है ड्रैगन ऑफ किजियांग। यह 15 मीटर लंबा है और 16 करोड़ साल पहले जुरासिक काल के उत्तरार्ध तक इसका अस्तित्व था।
जिस जगह पर यह जीवाश्म पाया गया है, उसकी खोज निर्माण मजदूरों ने साल 2006 में की थी। खुदाई के दौरान यह जीवाश्म मिला था।
अल्बर्टा विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र टेटसूटो मियाशिता ने कहा, “किजियांगलॉन्ग को देखकर यह पता चलता है कि लंबी गरदन वाले डायनासोर एशिया में जुरासिक काल के दौरान बेहद उन्नत तरीके से विकसित हुए।”
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि डायनासोर की गरदन अभी भी उसके धड़ से लगी हुई थी।
मियाशिता ने कहा, “लंबी गरदन वाले डायनासोर के धड़ के साथ गरदन का पाया जाना बेहद दुर्लभ है, क्योंकि इसका सिर इतना छोटा होता है कि उसकी मौत के बाद वह धड़ से आसानी से अलग हो जाता है।”
यह नई प्रजाति डायनासोरों के समूह मामेनचिसाउरिड्स से संबंधित है, जो अपनी लंबी गरदन के लिए जाने जाते हैं। कभी-कभी इसके गरदन की लंबाई शरीर की लंबाई की आधी होती है।
मियाशिता ने कहा, “लंबी गरदन वाले डायनासोर हम चीन के अलावा और कहीं नहीं देख सकते। नई प्रजाति का यह डायनासोर हमें यह बताता है कि दुनिया के अन्य डायनासोर से अलग होकर यह किस प्रकार विकसित हुआ।”
यह निष्कर्ष पत्रिका ‘वर्टिबेट्र पेलीयन्टोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।