कोलकाता, 23 मार्च (आईएएनएस)। देश में चीनी उत्पादन 15 मार्च तक 28 लाख टन अधिक 221.8 लाख टन तक पहुंच जाने के बाद भी चीनी की कीमत लागत से कम होने के कारण चीनी मिलों को घाटा हो रहा है। यह बात यहां सोमवार को एक अधिकारी ने कही।
इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन (इसमा) के पूर्व अध्यक्ष ओपी धानुका ने कहा, “एक क्विं टन गóो की कीमत 2,200 रुपये है, जबकि एक क्विं टल सफेद चीनी की कीमत 2,600 रुपये है। 100 किलोग्राम गóो की पेराई से सिर्फ नौ किलोग्राम चीनी निकलती है।”
उन्होंने बताया कि 100 किलोग्राम गóो की पेराई से तीन किलोग्राम मोलासिस भी मिलता है, जिसकी कीमत 240 रुपये प्रति क्विं टल है और उसका उपयोग शराब बनाने में होता है।
साथ ही उतने ही गóो की पेराई से 33 किलोग्राम सिट्ठी हासिल होती है, जिससे प्रति टन 1,000 रुपये मिल जाता है।
धानुका ने कहा कि सहायक उत्पाद बेचने पर भी मिलों के नुकसान की भरपाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा, “चीनी की कीमत कम होने के कारण हम किसानों को भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।”
इसमा के आंकड़ा के मुताबिक 2011-12 से लेकर अब तक देश के पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों का 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया है।
उन्होंने कहा, “चीनी पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है, लेकिन यह काफी नहीं है और यह कम से कम 30 फीसदी होना चाहिए।”
इसमा के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इस साल के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान 250 लाख टन से बढ़ाकर 265 लाख टन कर दिया है।