नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश विचार, विश्वास और बोलने की आजादी के ‘घोर हनन’ से बेहद चिंतित है और इससे जुड़ी घटनाएं और खान-पान जैसे मामलों में हिंसा ‘देश पर प्रहार’ की तरह हैं।
सिंह ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती पर नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यक्रम ‘नो पीस विदाउट फ्रीडम। नो फ्रीडम विदाउट पीस : सेक्योरिंग नेहरूज विजन एंड इंडियन फ्यूचर’ के उद्घाटन सत्र में ये बातें कहीं।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “मतभिन्नता या खान-पान की वजह से लोगों पर हमला या उनकी हत्याओं को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। सही सोच रखने वाले हर व्यक्ति ने इस तरह की घटनाओं की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की है। यह देश पर हमला है।”
सिंह ने कहा, “देश हाल में कुछ हिंसक चरमपंथी समूहों द्वारा विचार, विश्वास और बोलने की आजादी के घोर हनन से बेहद चिंतित है।”
उन्होंने चेताया कि बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान असंतोष की आवाज को दबाना देश के आर्थिक विकास के लिए खतरनाक साबित होगा। साथ ही कहा, “मुक्त बाजार स्वतंत्रता के बिना संभव नहीं है।”
सिंह ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय गणराज्य के लिए एक धर्मसिद्धांत है।
उन्होंने कहा कि धर्म एक निजी मामला है और कोई भी धर्म सार्वजनिक नीति या शासन व्यवस्था का आधार नहीं हो सकता। साथ ही धर्मनिरपेक्ष गणराज्य में कोई किसी पर अपने धार्मिक विश्वास थोप नहीं सकता। गणराज्य का अस्तित्व ही एकता, विविधता का सम्मान, धर्मनिरपेक्षता और बहुलतावाद पर टिका है।
सिंह ने पंडित नेहरू को याद करते हुए कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के बाद के आज के दौर में नेहरू के विचार फिर प्रासंगिक हो गए हैं। आज फिर इस बात को महसूस किया जा रहा है कि लोगों की बेहतरी के लिए राज्य की प्रभावकारी भूमिका होनी चाहिए।
उन्होंने पंडित नेहरू को भारत का सर्वाधिक उदार सोच वाला, लोकतांत्रिक, आधुनिक, अनुभवी, विद्वान और वैश्विक नेता बताया। उन्होंने कहा कि नेहरू के उदार मूल्यों के साथ एक युवा भारत विश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ सकता है।