मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता के लिये ईएफएमएस पद्धति सें बनेंगे मस्टर-रोल, रोजगार गारंटी परिषद की कार्यकारिणी समिति की प्रथम बैठक में श्री गोपाल भार्गव
मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जरूरतमंद मजदूरों को रोजगार का हक दिलाने के लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव की अध्यक्षता में आज यहाँ सम्पन्न मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की कार्यकारिणी समिति की प्रथम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मनरेगा के तहत कार्य कर रहे 2 लाख 26 हजार मेट के माध्यम से श्रमिकों के समूह को माँग के अनुसार रोजगार मुहैया करवाने के इंतजाम होंगे। वर्तमान में मेट अकुशल श्रमिक के रूप में कार्य करते हैं। अब इन्हें अर्द्ध-कुशल श्रमिक का दर्जा दिया जायेगा। यह मेट 30 श्रमिकों के एक समूह का नेतृत्व करेंगे और ग्राम-पंचायत में पदस्थ रोजगार सहायक के माध्यम से जनपद पंचायत तक रोजगार की माँग के बारे में सूचना भेजने में मदद करेंगे। नई व्यवस्था में पंचायत की माँग के अनुसार अब मजदूरी की राशि सीधे पंचायत के खातों में जमा होगी। माँग आधारित रोजगार तथा मजदूरी की राशि को काम से जोड़ने की दिशा में मध्यप्रदेश में यह अभिनव प्रयोग शुरू किया जा रहा है। इस नवाचार से ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन होगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्रीमती अरुणा शर्मा भी मौजूद थीं।
मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने आदिवासी बहुल विकासखण्ड में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के संचालन के लिये एक-एक अतिरिक्त विकासखण्ड अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मनरेगा शिकायतों के निराकरण में देरी होने तथा मनरेगा मजदूरी भुगतान में विलंब के लिये भी जवाबदेही तय होना चाहिये। बैठक में बताया गया कि मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति संबंधी नियमों को विधि विभाग से मंजूरी मिल चुकी है और अब इन्हें मंत्रि-परिषद के अनुमोदन के लिये यथाशीघ्र प्रस्तुत किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत वर्ष 2013-14 के लिये करीब 4,438 करोड़ रुपये की कार्य-योजना निर्धारित की गई है। राज्य में एक अप्रैल, 2013 से मनरेगा श्रमिकों की दैनिक मजदूरी टास्क रेट अनुसार 146 रुपये निर्धारित की गई है।
बैठक में आयुक्त मनरेगा डॉ. रवीन्द्र पस्तोर ने बताया कि मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता और भुगतान व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिये एक अप्रैल, 2013 से ईएफएमएस सिस्टम की शुरूआत प्रदेश के 15 जिलों में हो चुकी है। इनमें क्रमशः हरदा, खण्डवा, होशंगाबाद, बैतूल, सीहोर, जबलपुर, गुना, दमोह, पन्ना, विदिशा, उमरिया, कटनी, खरगोन तथा उज्जैन जिले शामिल हैं। इस व्यवस्था को शीघ्र ही सभी 50 जिलों में लागू किया जा रहा है। नई व्यवस्था के अंतर्गत समस्त जनपद पंचायत में एक अप्रैल, 2013 से मेन्युअल मस्टर-रोल बनाने का काम पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इससे पहले हरदा जिले में पॉयलेट प्रोजेक्ट चलाकर इस प्रणाली का सफल क्रियान्वयन किया जा चुका है। वित्तीय समावेशन व्यवस्था के मध्यप्रदेश मॉडल के प्रभावी क्रियान्वयन के अंतर्गत अब ग्रामीण अंचलों में हर 5 किलोमीटर के दायरे में वैकल्पिक बैंक की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। अब तक 7,493 गाँव में अल्ट्रा स्माल बैंक तथा मोबाइल बैंकिंग के जरिये मनरेगा मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित किया जा चुका है।
इस अवसर पर मनरेगा, सामान्य सभा की विगत बैठकों में हुए निर्णयों के परिपालन की जानकारी भी विस्तार से दी गई। बैठक में वर्ष 2013-14 से लेबर बजट व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम-पंचायतवार सेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट तैयार करने की कार्यवाही के बारे में भी बताया गया। बैठक में सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास डॉ. राजेश राजौरा सहित कार्यकारिणी समिति के सदस्य, वरिष्ठ विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे।