रेकांग पियो (हिमाचल प्रदेश), 25 जनवरी (आईएएनएस)। शकरकंद की तरह दिखने वाला और स्वाद में मीठे सेब की तरह लगने वाला ग्राउंड एप्पल (पेरूवियन ग्राउंड एप्पल) हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है।
रेकांग पियो (हिमाचल प्रदेश), 25 जनवरी (आईएएनएस)। शकरकंद की तरह दिखने वाला और स्वाद में मीठे सेब की तरह लगने वाला ग्राउंड एप्पल (पेरूवियन ग्राउंड एप्पल) हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि निम्न कैलोरी और उच्च पोटैशियम वाले शर्करा मुक्त इस फसल की खाद्य बाजार में काफी मांग है।
किन्नौर जिले के इस शहर के नजदीक इस फसल को प्रमुखता से उगाने वाले सत्यजीत नेगी ने अपने बागीचे में प्रयोग के लिए इसकी खेती शुरू की। नेगी राज्य में इस फसल की खेती करने वाले एकमात्र किसान हैं।
नेगी ने आईएएनएस को बताया, “मैंने इस कंद मूल को नेपाली प्रवासी श्रमिक से प्राप्त किया था और इसे पुरबानी और पोवाड़ी गांव के अपने बागीचे के कुछ हिस्से में पिछले अप्रैल में रोपा। सात महीने में ही बड़ी संख्या में कंदमूल उग आए।”
उनके अनुसार, ग्राउंड एप्पल को 5,000 फुट की ऊंचाई या इससे ऊपर उगाया जा सकता है।
वानस्पतिक रूप से सूर्यमुखी परिवार के इस सदस्य को पेड़ों की छाया के नीचे उगाया जाता है।
उन्होंने बताया, “राज्य को ग्राउंड एप्पल की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि खाद्य उद्योग में इसकी मांग बढ़ रही है।”
पोषण विशेषज्ञों के मुताबिक, कंद का स्वाद मीठे सेब की तरह रसीला होता है। इसमें इनुलिन के रूप में कार्बोहाइड्रेट्स मौजूद होता है। यह एक प्रकार का फल शर्करा होता है, जो कि टाइप-2 मधुमेह रोगियों के खानपान के अनुकूल होता है।
ग्राउंड एप्पल में उच्च प्रोटीन भी मौजूद होता है।
नेगी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को पिछले महीने फसल का एक नमूना भी भेंट किया था।
फसल विविधीकरण को अपनाने से प्रभावित मुख्यमंत्री ने सोलन स्थित वाई.एस.परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इसकी खेती को लोकप्रिय बनाने के निर्देश दिए।
नेगी ने कहा कि विश्वविद्यालय के शोध केंद्र राज्य के उच्च इलाके में मौजूद हैं, जिससे ग्राउंड एप्पल की खेती के प्रयास बढ़ सकते हैं। यह न सिर्फ पहाड़ी इलाके के लोगों की आíथक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इसकी पत्तियों को बेच कर भी वे लाभ कमा सकते हैं, जो कि पशुओं का मुख्य चारा हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश मटर, बंदगोभी, फूलगोभी, टमाटर, शिमला मिर्च और आलू की खेती के मामले सभी पहाड़ी राज्यों में आगे है। वार्षिक रूप से राज्य को इससे 2,500 करोड़ रुपये की कमाई होती है।