नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और पुलिस से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दिल्ली मवेशी संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को रद्द करने की मांग की गई है। दिल्ली मवेशी संरक्षण अधिनियम के अनुसार दिल्ली में गोमांस रखना और खाना अपराध है।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से इस मामले में आठ दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका चार मई को दायर की गई थी।
अदालत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एनजीओ ने याचिका में कहा है कि “अपनी पसंद का भोजन खाना जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।”
याचिका में कहा गया है कि संविधान के मुताबिक, राज्य को किसी विशेष धार्मिक प्रथा के प्रवर्तन के लिए कानून नहीं बनाना चाहिए।
याचिका के मुताबिक, “दिल्ली मवेशी संरक्षण अधिनियम के अनुसार गोमांस रखने और खाने पर प्रतिबंध याचिकाकर्ताओं और उनके जैसे अन्य लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि यह उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है।”