राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के तहत् प्रदेश में गेहूँ उपार्जन से जुड़े समस्त कर्मियों, कार्यपालिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अमले के सेवाओं में कार्य करने से इंकार किये जाने को प्रतिषेध किया गया है। यह प्रतिषेध आगामी तीन माह के लिये लागू होगा।
राज्य शासन ने यह फैसला प्रदेश में सहकारी समितियों के कतिपय कर्मियों द्वारा 17 मार्च, 2013 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की दी गई सूचना के परिप्रेक्ष्य में एवं खरीदी कार्य को सुचारु रूप से संचालित करने के उद्देश्य से जनहित में लिया है।
इस संबंध में जारी अधिसूचना आवश्यक कार्यवाही के लिये प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर्स, समस्त संभागायुक्त एवं राज्य की उपार्जन से जुड़ी सभी एजेंसियों को आवश्यक निर्देश के साथ प्रेषित की गई है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा रबी उपार्जन वर्ष 2013 के अंतर्गत 18 मार्च, 2013 से उज्जैन, इंदौर, भोपाल और नर्मदापुरम् (होशंगाबाद) संभाग में तथा 25 मार्च, 2013 से प्रदेश के शेष संभाग चंबल, रीवा, शहडोल, ग्वालियर, जबलपुर एवं सागर संभाग में समर्थन मूल्य में गेहूँ खरीदी का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। प्रदेश के जिलों में इसके लिये सभी आवश्यक तैयारियाँ की जा चुकी हैं।
इस अधिनियम के अंतर्गत घोषित अत्यावश्यक सेवा को किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा इंकार किये जाने, पूर्ण और आंशिक कार्य विराम करने, किसी भवन, मशीन, यान, संयंत्र, सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने, विनिष्ट करने का प्रयास प्रतिबंधित है। इसी प्रकार बिना मंजूरी के अवकाश में जाना अथवा किसी को कर्त्तव्य पर उपस्थित होने के लिये बाधित करना भी प्रतिबंधित होगा। इस प्रावधान के तहत औजार, टेलीफोन, कलमबन्द करना तथा चक्काजाम, धीमी गति से कार्य करना या इस प्रकार की किसी भी रीति से कार्य करने का प्रतिषेध होगा।