नई दिल्ली: गुजरात के द्वारका स्थित शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा है कि वह विवादों और ‘धर्म विरोधी ताकतों’ के जुड़े होने के कारण अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे.
इससे पहले पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और ज्योतिष्पीठ (उत्तराखंड) के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि एक अधूरे मंदिर के अभिषेक ने शास्त्रों का उल्लंघन किया है. निश्चलानंद ने कहा था कि चारों शंकराचार्य निमंत्रण अस्वीकार कर देंगे.
स्वामी सदानंद सरस्वती ने बीते शुक्रवार (12 जनवरी) को गुजरात में अपने आश्रम में संवाददाताओं से कहा, ‘अगर कोई धार्मिक स्थल किसी विवाद में फंसा हो और उस पर धर्म विरोधी ताकतों का कब्जा हो तो वहां पूजा करना प्रतिबंधित है.’
स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा, ‘राम मंदिर आंदोलन पिछले 500 वर्षों से चल रहा है और हम चाहते थे कि इसे (विवादित भूमि) हिंदुओं को सौंप दिया जाए. हम वहां मौजूद आध्यात्मिक शक्ति के लिए अयोध्या जाते हैं, लेकिन जब गैर-धार्मिक तत्व ऐसे क्षेत्र पर कब्जा कर लेते हैं तो हम उस आध्यात्मिक शक्ति को पाने में असफल हो जाते हैं. हमारी संस्कृति के प्रतीक अपनी पवित्रता के लिए आध्यात्मिक लोगों के पास ही रहने चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘सभी चार शंकराचार्यों को निमंत्रण मिला है, लेकिन कोई भी 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या नहीं जा रहा है.’