अहमदाबादः गुजरात के सूरत में कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन करने पर मंत्री के बेटे को रोकने वाली लोक रक्षक दल (एलआरडी) जवान सुनीता यादव ने पुलिसफोर्स से इस्तीफा देने का ऐलान करते हुए कहा है कि उनकी जान को खतरा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद कॉन्स्टेबल सुनीता यादव की मांग को स्वीकार करते हुए सूरत पुलिस ने उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई है.
सुनीता यादव का कहना है कि वह पुलिस बल से इस्तीफा देना चाहती थीं और उन्होंने उच्च अधिकारियों तक यह बात पहुंचाई थी कि वह आईपीएस अधिकारी बनना चाहती हैं और इसके लिए वह तैयारी करना चाहती हैं.
यादव ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह इस्तीफा देने के बाद सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखेंगी.
यादव ने कहा, ‘अभी तक मीडिया में जो बातें आई हैं, वह सिर्फ 10 फीसदी ही हैं, लेकिन मेरे पास कहने को 90 फीसदी बातें हैं. इस्तीफा देने के बाद मैं यह बातें सार्वजनिक तौर पर कहूंगी. मैं इसका खामियाजा भुगतने को तैयार हूं. अगर मैं इस लड़ाई में मर भी जाऊं तो मुझे कोई खेद नहीं होगा. मेरे सहयोगियों और वरिष्ठ अधिकारियों का मेरे पास पूरा सहयोग है.’
यादव एलआरडी जवान है, जो जो एक निश्चित वेतन के साथ अस्थायी पुलिस पद है.
यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेरी लड़ाई सुनीता यादव के लिए नहीं है, मेरी लड़ाई खाकी वर्दी के लिए है. मुझे फोन पर धमकियां मिली हैं, जिसमें मुझे कहा गया है कि तुम देश के लिए बहुत कुछ कर रही हो और मुझे नहीं लगता कि तुम ज्यादा समय तक जिंदा रहोगी.’
सुनीता यादव के अनुसार, ‘उन्होंने (फोन करने वालों ने) मुझे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 50 लाख रुपये भी देने की पेशकश की. मेरे पास तीन दिन पहले फोन आया था, जिसके बाद मैंने सूरत पुलिस कमिश्नर से संपर्क कर पुलिस सुरक्षा मांगी. ऐसा लगता है कि यह फोन गुजरात के बाहर से किया गया था.’
दो महिला पुलिस कॉन्स्टेबल को उनके घर के बाहर तैनात किया गया है, जबकि दो पुरुष पुलिस कॉन्स्टेबल को उनके अपार्टमेंट के मेन गेट पर तैनात किया गया है.
यादव ने कहा कि जब मैं सड़क पर मीडिया के साथ भी होती हूं तो कुछ लोग मेरा पीछा करते हैं.
बता दें कि आठ जुलाई को हुई इस घटना की जांच पुलिस कमिश्नर आरबी ब्रह्मभट्ट ने एसीपी (एफ डिविजन) जेके पांड्या को सौंप दी गई है.
इस बीच नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सूरत इकाई के पूर्व अध्यक्ष राजूभाई गोधानी ने मंगलवार को सुनीता यादव के खिलाफ वराछा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि वह भी उनके अभद्र व्यवहार का शिकार रहे हैं.
शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि सुनीता यादव का व्यवहार बहुत खराब है और वह उन्हें अभद्र भाषा में बात करते और सड़कों पर लोगों को उठा-बैठक कराते देख चुके हैं.
गोधानी ने यह भी आरोप लगाया कि पांच जुलाई को सुनीता यादव ने उन्हें कार चलाते समय उचित तरीके से मास्क नहीं पहनने पर रोक लिया था.
अपनी शिकायत में गोधानी ने कहा, ‘पुलिस ने मुझे बाहर आने को कहा. मैंने सही से मास्क नहीं लगाया था तो उन्होंने मुझे सार्वजनिक तौर पर डांटा. कुछ लोग जो मुझे जानते थे, वे आगे आए. उन्होंने भी मुझे यादव के अभद्र व्यवहार के बारे में बताया.’
शिकायत के अनुसार, ‘उन्होंने (सुनीता यादव) मुझसे पूछा कि मैं लॉकडाउन के दौरान बाहर क्यों हूं. उस वक्त सुबह के लगभग दस बजे थे और मैंने उन्हें बताया कि मैं लोगों को खाना और मास्क बांटने जा रहा था. यादव ने अभद्र भाषा में मुझे सबके सामने बेइज्जत किया.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे एक तरफ खड़ा होने को कहा गया. मैंने उन्हें लोगों को रोकते, उनसे उठक-बैठक कराते और लोगों से अभद्र भाषा में बात करते देखा है. मैंने उनकी नेमप्लेट से उन्हें पहचाना कि वह सुनीता यादव हैं. वहां तैनात अन्य पुलिसकर्मी इस घटना की वीडियोग्राफी कर रहे थे. कुछ समय बाद मैंने उनसे माफी मांगी, तब मुझे जाने दिया गया.’
गोधानी ने कहा, ‘मैंने उनका व्यवहार देखा है और मुझे पता है कि वह किस तरह की भाषा में बात करती हैं. वह सड़कों पर निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करती हैं.’
सहायक पुलिस आयुक्त (ए डिविजन) सीके पटेल ने बताया, ‘सुनीता सशस्त्र पुलिस बल की इकाई में काम करती हैं और फिलहाल पुलिस मुख्यालय पर तैनात हैं. हम उनके खिलाफ शिकायत की जांच कर रहे हैं और कुछ दिनों में उन्हें अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाएंगे, जिसके बाद हम आगे की कार्रवाई पर फैसला करेंगे.’
मालूम हो कि आठ जुलाई को सूरत के वराछा पुलिस थाने में तैनात कॉन्स्टेबल सुनीता यादव ने रात में कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन करने के लिए पांच लोगों की कार रोक ली थी, जिसमें से एक शख्स ने मदद के लिए राज्य के स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कानाणी के बेटे प्रकाश को मौके पर बुलाया था.
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, इस वीडियो क्लिप में युवक को कहते सुना जा सकता है कि उसकी पहुंच इतनी है कि वह उन्हें (सुनीता यादव) यहीं पर 365 दिनों के लिए खड़ा करवा सकता है.
इस पर महिला कॉन्स्टेबल कहती हैं कि वह उनकी दासी या उसके पिता की सेवक नहीं हैं कि वे 365 दिनों के लिए यहीं पर उसे तैनात करवा दें.
11 जुलाई को प्रकाश और उसके दो दोस्तों दीपक गोधानी और संजय ककाड़िया को कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.