लंदन, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। शिक्षित लोगों से जहां अपनी जीवनशैली में सुधार की उम्मीद की जाती है, वहीं एक ताजा अध्ययन के मुताबिक गरीब देशों में उच्च शिक्षित आबादी मोटापे का शिकार अधिक है।
दूसरी ओर, विकसित देशों में मोटापे से ग्रस्त अधिकांश आबादी कम शिक्षित पाई गई।
अध्ययन के मुख्य लेखक नॉर्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक जोनास मिनेट किंगे के अनुसार, “देश जैसे-जैसे धनी होते जाते हैं, लोगों की जीवनशैली में बदलाव आने लगता है। जीवनशैली में आने वाले इस बदलाव से कम शिक्षित लोगों का शारीरिक वजन सर्वाधिक प्रभावित होती है।”
किंगे विस्तार से बताते हैं, “उदाहरण के लिए इससे पहले आए अध्ययनों में कहा गया है कि गरीब देशों में कम शिक्षित जनता को भोजन इकट्ठा करने के लिए संसाधनों की उपलब्धता कम होती है तथा शारीरिक मेहनत अधिक करना पड़ता है। इन परिस्थितियों के कारण विकासशील देशों में कम शिक्षित लोग मोटापे का शिकार नहीं होते।”
इस अध्ययन का उद्देश्य पूर्व अध्ययनों के द्वारा मोटापे का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और शिक्षा के साथ संबंध की स्थापित अवधारणा की विस्तारपूर्वक जांच करना था।
नए अध्ययन के परिणामों से मोटापे का जीडीपी और शिक्षा के साथ संबंध स्थापित होता है।
अध्ययन के मुताबिक, जीडीपी में बढ़ोतरी के साथ मोटापे के स्तर में भी बढ़ोतरी होती है, लेकिन ऐसा सिर्फ कम शिक्षित आबादी के बीच ही देखा गया।
कम जीडीपी वाले देशों की उच्च शिक्षित आबादी में मोटापे की समस्या अधिक पाई गई।
अध्ययन के अनुसार, यह रुझान महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक देखा गया।
यह अध्ययन शोध पत्रिका ‘जर्नल ऑफ एपीडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।