नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को यहां कहा कि देश से गरीबी मिटाने के लिए दीर्घकाल में 10 फीसदी विकास दर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देशवासियों का पांचवां हिस्सा अभी तक गरीबी रेखा से नीचे बना हुआ है। गांधीजी का प्रत्येक आंख से आंसू पोंछने का मिशन अभी भी अधूरा है।
68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में मुखर्जी ने कहा, “हमें अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए और प्रकृति के उतार-चढ़ाव के प्रति कृषि क्षेत्र को लचीला बनाने के लिए अधिक परिश्रम करना है। हमें जीवन की श्रेष्ठ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, गांवों के हमारे लोगों को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करने होंगे।”
मुखर्जी ने कहा, “हमें विश्वस्तरीय विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के सृजन द्वारा युवाओं को और अधिक रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए अधिक परिश्रम करना है। घरेलू उद्योग की स्पर्धात्मकता में गुणवत्ता, उत्पादकता और दक्षता पर ध्यान देकर सुधार लाना होगा। हमें अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करने के लिए अधिक परिश्रम करना है। महिलाओं को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने में सक्षम बनना चाहिए। बच्चों को पूरी तरह से अपने बचपन का आनंद उठाने में सक्षम होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “हमें अपने उपभोग के उन तरीकों को बदलने के लिए अधिक परिश्रम करना है, जिनसे पर्यावरणीय और पारिस्थिकीय प्रदूषण हुआ है। हमें बाढ़, भूस्खलन और सूखे के प्रकोप को रोकने के लिए प्रकृति को शांत करना होगा। हमें अधिक परिश्रम करना होगा, क्योंकि निहित स्वार्थो द्वारा अभी भी हमारी बहुलवादी संस्कृति और सहिष्णुता की परीक्षा ली जा रही है। ऐसी स्थितियों से निपटने में तर्क और संयम हमारे मार्गदर्शक होने चाहिए।”
मुखर्जी ने कहा, “हमें आतंकवाद की बुरी शक्तियों को मिटाने के लिए अधिक परिश्रम करना है। इन शक्तियों का ²ढ़ और निर्णायक तरीके से मुकाबला करना होगा। हमारे हितों की विरोधी इन शक्तियों को पनपने नहीं दिया जा सकता। हमें अपने उन सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की बेहतरी को सुनिश्चित करने के लिए अधिक परिश्रम करना है, जो आंतरिक और बाह्य खतरों से हमारी रक्षा करते हैं।”
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के आखिर में इन पंक्तियों को उद्धृत किया—
“हमें और अधिक परिश्रम करना है क्योंकि;
हम सभी अपनी मां के लिए एक जैसे बच्चे हैं;
और हमारी मातृभूमि, हम में से प्रत्येक से,
चाहे हम कोई भी भूमिका निभाते हों;
हमारे संविधान में निहित मूल्यों के अनुसार;
निष्ठा, समर्पण और दृढ़ सच्चाई के साथ;
अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए कहती है।”