गंगा नदी की महत्ता भारतीय जनमानस के लिए कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीर्थयात्राओं में से सर्वप्रमुख चारधाम यात्रा में एक धाम गंगा के धरती पर अवतरण का स्थान गंगोत्री भी है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के किनारे स्थित गंगोत्री हिमालय पर्वतमाला में 3100 मीटर की ऊंचाई पर है। जाहिर है, यहां की अधिष्ठात्री देवी गंगा ही हैं। गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गंगोत्री ग्लेशियर में गोमुख है, जहां से भागीरथी नदी का उद्गम है।
देवप्रयाग में बदरीनाथ की तरफ से आ रही अलकनंदा नदी से संगम के बाद इस नदी का नाम गंगा हो जाता है। हालांकि गंगोत्री में गंगा की पूजा-अर्चना तो अनादि काल से होती रही है, लेकिन कहा जाता है कि गंगोत्री में गंगा के मूल मंदिर का निर्माण गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने 19वीं सदी की शुरुआत में करवाया था। गंगोत्री में नदी में जलमग्न चत्रन का बना एक प्राकृतिक शिवलिंग भी है। सर्दियों में जब भागीरथी नदी का प्रवाह कम हो जाता है तब इसे साफ देखा जा सकता है। लेकिन दीवाली पर गंगोत्री मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। भारी बर्फ के कारण सर्दियों में यहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है।