हरिद्वार, 24 अक्टूबर – गंगा सफाई अभियान नदी के जलीय जीवन के सुधार में सहायता कर रहा है। यह जलीय प्राणियों के लिए यह जीवनदायी सरीखा साबित हो रहा है। व्यापक सफाई अभियान के पहले तथा बाद में नदी की स्थिति का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। सबसे प्रसिद्ध तथा भीड़भाड़ वाले हर की पौड़ी घाट का अध्ययन किया गया है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि सफाई अभियान के बाद नदी का तापमान 19 डिग्री सेल्सियस से घटकर 18.1 डिग्री सेल्यिसयस हो गया है।
तापमान में यह कमी कई प्रकार से मददगार साबित होगी। साथ ही नदी की पारदर्शिता का स्तर भी 18 सेंटीमीटर से बढ़कर 30 सेंटीमीटर हो गया है, जो 1.5 गुना बढ़ोत्तरी दर्शाता है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि नदी में क्लोराइड स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 16 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है। वहीं टीडीएस भी 210 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 110 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है।
प्रमुख शोधकर्ता सुशील भादुलिया तथा बी.डी.जोशी ने कहा, “जलीय वातावरण में तापमान उपापचय (मेटाबॉलिक) दर को प्रभावित करता है। नदी के तापमान में कमी बेहद अच्छी बात है।”
भादुलिया देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर हैं, जबकि जोशी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में जंतु विज्ञान तथा पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर हैं।
उन्होंने कहा, “जितनी ज्यादा पारदर्शिता होगी, सूर्य का प्रकाश उतनी ही गहराई तक नदी में प्रवेश कर सकेगा, जो जलीय पौधों के विकास के लिए अच्छी बात है।”
उन्होंने कहा कि 14 अक्टूबर को सफाई अभियान के अंतिम दिन पारदर्शिता स्तर सर्वाधिक था। इन नतीजों से हम बेहद खुश हैं।
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार में आध्यात्मिक समूह गायत्री परिवार ने गंगा सफाई तथा व्यापक तौर पर जागरुकता अभियान चलाया था।
गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार के प्रवक्ता ने कहा, “स्वच्छता अभियान का उद्देश्य केवल गंगा नदी की सफाई ही नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों तथा यात्रियों में इसके प्रति जागरूकता फैलाना भी है।”
2,525 किलोमीटर लंबी गंगा नदी को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। यह करोड़ों लोगों की जीवन रेखा भी है। यह हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
वहीं दूसरी तरफ, गंगा नदी को दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में गिना जाता है। इस प्रदूषण से न केवल मानव जीवन, बल्कि जलीय तथा उभयचर प्राणियों पर भी असर पड़ता है।