उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद शासन-प्रशासन भूकंप आने की अफवाहों को रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है, जिससे लोगों की बेचैनी और बढ़ गई है। भूकंप को आने से रोकना भले ही संभव नहीं है, मगर इससे होने वाली तबाही से बचा जा सकता है। भूकंप-रोधी भवन बनाकर जान-माल की क्षति तो रोकी जा सकती है।
भूकंप-रोधी भवनों के निर्माण के लिए वर्ष 2001 में ही शासनादेश जारी हो चुका है। तत्कालीन विशेष सचिव संजय भूसरेड्डी की ओर से जारी शासनादेश में नगरीय क्षेत्र के तीन से 12 मीटर तक ऊंचाई के सभी इमारतों को भूकंपरोधी बनाना अनिवार्य किया जा चुका है। भूकंप आदि आपदाओं से निपटने के लिए सरकारी प्रावधानों की कमी नहीं है, मगर उसके क्रियान्वयन में शिथिलता है। जब भी भूकंप, बाढ़ आदि आपदाएं आती हैं तो हम सहम जाते हैं। आपदाओं से ज्यादा सरकारी मशीनरी की खस्ताहाल तैयारियां हमें और डराने लगती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2005 में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट यानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया गया। मगर इसके प्रावधानों को सूबे के लगभग सभी जिलों में अमलीजामा पहनाने में कोताही बरती गई। लिहाजा, जब तक इंतजाम पूरे नहीं होंगे, हर बार हम आपदा की आशंका मात्र से ही सहम जाते रहेंगे।
क्या कहता है केंद्र सरकार का राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून?
एनडीएम एक्ट के प्रावधान :
* राज्य के प्रत्येक जिले के लिए आपदा प्रबंधन कार्ययोजना होगी
* जिला प्रशासन स्थानीय प्राधिकारियों से परामर्श के बाद कार्ययोजना को मूर्तरूप देगा
* जिला प्राधिकरण के स्तर से आपदा प्रबंधन कार्ययोजना का क्रियान्वयन होगा
* एक्ट की उपधारा दो और चार के तहत जिला योजना की प्रति सभी सरकारी विभागों को उपलब्ध कराई जाएगी
* जिला प्राधिकरण समय-समय पर योजना के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग करेगा
जिला प्राधिकरण के कार्य :
* अति संवेदनशील या प्रभावित क्षेत्र में या उसके भीतर वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करना
* मलबा हटाने, बचाव कार्य व तलाशी की व्यवस्था
* पीड़ितों के आश्रय, भोजन, पीने के पानी और आवश्यक सामग्री, स्वास्थ्य देखरेख और अन्य जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराना
* प्रभावित क्षेत्रों में सलाह और सहायता देने के लिए विशेषज्ञों की सेवा लेना, आपदा से नुकसान का निर्धारण करना
भवन नक्शा की शर्ते :
* सरकारी और निजी भवन नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों के अनुरूप मंजूर नक्शे से ही बनेंगे
* निर्माण का सुपरविजन आर्किटेक्ट की देखरेख में ही होगा
* निर्माण पूरा होने के बाद भवन स्वामी को आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*टेक्ट से प्रमाणपत्र लेना जरूरी
भवन निर्माण इंजीनियर की योग्यता :
* भवन सीमा भूकंप जोन अनुभव
* चार मंजिला तीन तीन वर्ष
* चार मंजिला पांच चार साल
* आठ मंजिला तीन सात साल
* आठ मंजिला पांच नौ साल
इनका भूकंप-रोधी होना जरूरी :
* अस्पताल
* बस टर्मिनल
* सिनेमाहॉल
* ऑडिटोरियम
* स्कूल-कालेज
* टेलीफोन कार्यलय
* तीन मंजिला से ऊपर के सभी मकान।