नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। मां न बन पाने की समस्या से जूझ रहीं महिलाएं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
आजकल के अधिकांश जोड़ों को ‘इनफर्टिलिटी’ की समस्या प्रभावित कर रही है और इसकी वजहें कैरियर का तनाव, देर से शादी, धूम्रपान और अल्कोहल का बढ़ता इस्तेमाल, सिडेंटरी जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतें हो सकती हैं।
जानी मानी आईवीएफ एवं एडवांस फर्टिलिटी एंड गायनीकोलॉजी सेंटर की क्लीनिकल निदेशक डॉ. कावेरी बनर्जी ने इस समस्या पर कहा, “उम्मीद खोने की जरूरत नहीं है। जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर महिलाएं मां बनने के अवसर बढ़ा सकती हैं। मां बनने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ दिमाग होना बेहद जरूरी है।”
एक अनुमान के मुताबिक, 35 से अधिक उम्र वाली 30 से 40 फीसदी महिलाओं में यह समस्या है।
महिलाओं के लिए जो सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज है, वह है अपने शरीर का वजन नियंत्रण में रखना। काम और घर के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत वाली आज की जीवनशैली में महिलाएं सिडेंटरी जीवनशैली अपनाने को मजबूर हैं।
कुछ महिलाओं में शारीरिक सक्रियता नहीं के बराबर है और खान-पान की आदतें भी बिगड़ चुकी हैं। वे स्नैक्स पर ज्यादा निर्भर रहती हैं और ज्यादातर समय फास्ट फूड खाती हैं। ऐसे में मोटापा बढ़ता है जो कि इनफर्टिलिटी की सबसे बड़ी वजह है। बहुत ज्यादा धूम्रपान और अल्कोहल का इस्तेमाल समस्या को और बढ़ा रहा है।
जिन महिलाओं को इनफर्टिलिटी की समस्या है, उन्हें बेहद संयमित जीवनशैली जीना चाहिए। उनका खान-पान ऐसा होना चाहिए जिसमें शुगर, सॉल्ट और फैट कम हो। उन्हें नियमित रूप से वॉक पर जाना चाहिए और शारीरिक रूप से सक्रिय जीवनशैली जीना चाहिए। लेकिन वजन घटाने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप खुद को जरूरी पोषक तत्वों से भी दूर कर लें।
यह समझना बेहद जरूरी है कि शरीर में हार्मोस के उत्पादन के लिए उचित मात्रा में प्रोटीन, फैट आदि बेहद जरूरी होता है। हर रोज पर्याप्त मात्रा में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज अैर कम से कम दो लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। इसके अलावा, आपके लिए एक तनाव मुक्त जीवन भी जरूरी है। रिलैक्सेशन थेरेपी, योगा और मेडिटेशन आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं, इससे आप का तनाव कम हो सकता है।
वर्ष 2007 में आईवीएफ के लिए आईएमए अवॉर्ड से सम्मानित डॉ. कावेरी बनर्जी के मुताबिक, “इनफर्टिलिटी की समस्या को अकेले संतुलित जीवनशैली से ठीक नहीं किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, गैमेट इंट्राफैलोपियन ट्रांसफर, इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन, डोनर एग और डोनर एंब्रायो की सलाह दी जा सकती है। इन कृत्रिम तरीकों के इस्तेमाल की सलाह तभी दी जाती है जब ये एकमात्र विकल्प बचते हैं।”
डॉ. बनर्जी अपने एक मरीज को याद करती हैं जो कुछ साल पहले उनके क्लीनिक में आई थीं। 32 साल की सोनम अपने 35 वर्षीय पति सिद्धार्थ के साथ आई थीं जो कि एक बिजनेसमैन थे। उनकी शादी को 7 साल हो चुके थे और पिछले 6 साल से वह गर्भवती होने का प्रयास कर रही थीं। लेकिन वह सफल नहीं हुईं। दोनों मोटापे से पीड़ित थे, जिनका बीएमआई 30 से अधिक था और सोनम को हाइपरटेंशन भी था।
उन्होंने कहा कि युगल की काउंसलिंग की गई और उन्हें वजन कम करने के लिए कहा गया। तीन महीनों के भीतर सोनम जब वापस लौटीं तब उनका वजन 10 किलो कम हो चुका था। उन्हें मल्टीविटामिन टैबलेट दिए गए और छह महीने के भीतर वह गर्भवती हो गईं और एक बेटी को जन्म दिया।