कोंडागांव (छत्तीसगढ़), 27 जनवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। जिला मुख्यालय कोंडागांव नगर के तहसील कार्यालय में जमीन विवाद से संबंधित मामले में न्याय की आस लिए दो वृद्धा पहुंची थीं। महिलाओं को उनके ही सगे भाई ने जमीन हड़पने के लिए लगभग 18 वर्ष पूर्व मृत घोषित कर राजस्व रिकार्ड से उन दोनों सगी बहनों के नाम कटवाकर अपना नाम चढ़वा लिया था।
कोंडागांव (छत्तीसगढ़), 27 जनवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। जिला मुख्यालय कोंडागांव नगर के तहसील कार्यालय में जमीन विवाद से संबंधित मामले में न्याय की आस लिए दो वृद्धा पहुंची थीं। महिलाओं को उनके ही सगे भाई ने जमीन हड़पने के लिए लगभग 18 वर्ष पूर्व मृत घोषित कर राजस्व रिकार्ड से उन दोनों सगी बहनों के नाम कटवाकर अपना नाम चढ़वा लिया था।
उन्होंने कहा कि वे दोनों ग्राम पंचायत चिखलपुटी के आश्रित ग्राम चिचपोलंग की निवासी हैं। उनके पिता की मौत के बाद उनके पिता के जमीन संबंधी राजस्व रिकार्ड में उन दोनों के साथ उसके सगे भाई का नाम भी संयुक्त रूप से दर्ज कराया गया था। सभी अपने-अपने हिस्से में खेतीबाड़ी करते थे। अचानक एक दिन उनके नाम पर बैंक से कर्ज वसूली का नोटिस मिला, जबकि उनकी ओर से बैंक से कोई कर्ज लिया ही नहीं गया था।
जब उनके बेटे ने पूरे मामले की जानकारी ली, तो ज्ञात हुआ कि उसके सगे भाई ने ही उनके नाम पर कर्ज लिया था और फिर कर्ज न चुकाना पड़े और जमीन हड़पने की नीयत से यह बताकर कि उनकी दोनों जीवित बहनों की मौत हो चुकी है, राजस्व रिकॉर्ड से अपनी दोनों सगी और जीवित बहनों का नाम कटवाकर पूरी जमीन अपने नाम पर करा ली थी।
जमीन के लालच में आकर अपने ही सगे भाई की चालबाजी की शिकार होने के बाद से वे दोनों वृद्धावस्था, शारीरिक रूप से नि:शक्त होने के बावजूद विभिन्न न्यायालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
पीड़िता मनाय बाई ने बताया कि पिता की ओर से दी गई जमीन में कब्जा करने के लिए उसके सगे भाई ने उन्हें जीते जी मृत घोषित कर दिए जाने के कारण उन्हें अपने आप को जीवित सिद्ध करने के साथ-साथ अपने हिस्से की जमीन को वापस पाने के लिए न्यायालयों के चक्कर लगाना पड़ा। लंबी लड़ाई के बाद अंतत: विभिन्न न्यायालयों से तो न्याय मिल चुका है, अब केवल तहसील न्यायालय का ही मामला अटका हुआ है।
मनाय बाई के बेटे राजू ने बताया कि उसके मामा ने अपनी बहन के नाम पर बैंक से 50 हजार रुपये कर्ज लिया था। बाद में कागजों में हेराफेरी कर उसे मृत बता दिया। इस मामले में अपनी हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते उन्हें लगभग 17 साल लग गए हैं।
इस संबंध में रितु हेमनानी तहसीलदार ने कहा, “मेरी जानकारी में नहीं है। मैं अभी शहर से बाहर छुट्टी पर हूं। आने पर ही बता सकती हूं कि क्या मामला है। पांच माह ही हुए हैं मुझे यहां आए हुए। ऐसा कोई मामला लंबित होगा तो प्राथमिकता के आधार पर इसका निराकरण शीघ्र करने का प्रयास होगा।”