कश्मीर घाटी के एतिहासिक मंदिरों में से प्रमुख है श्रीनगर जिले में गंदरबल के तुलामुला में स्थित खीर भवानी मंदिर। शक्तिस्वरूपा रागन्या देवी का यह मंदिर इतनी खूबसूरत जगह पर है कि यहां आकर ही पुरसुकून शांति का अहसास होने लगता है।
चिनार के विशाल पेड़ों और अगल-बगल बहती कई जलधाराओं से घिरे इस मंदिर के मौजूदा स्वरूप का निर्माण कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में करवाया था। बाद में महाराजा हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर परिसर में एक षठकोणीय कुंड है, जिसके बीच में बने संगमरमर के मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित है। इस कुंड के पानी का रंग समय-समय पर बदलता रहता है और इन बदलते रंगों के साथ कई मिथक जुड़े हैं।
प्रचलित कथाओं के अनुसार रागन्या देवी की पूजा लंका नरेश रावण किया करता था और उसकी करतूतों से दुखी होकर ही देवी ने हनुमान को उन्हें लंका से ले जाकर कश्मीर में स्थापित करने को कहा था। कहा जाता है कि यहां जलकुंड की खोज आषाढ़ मास की सप्तमी को हुई थी और जेठ के महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हर साल देवी खीर भवानी का सालाना महोत्सव मनाया जाता है। खीर भवानी को नाम के अनुरूप खीर का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है।