नई दिल्ली: कई समाचार पोर्टलों ने बेंगलुरु पुलिस द्वारा समाचार पोर्टल ‘द फाइल’ के संस्थापक और संपादक जी. महंतेश को जारी नोटिस की निंदा की है. महंतेश के पोर्टल पर शिक्षा विभाग की एक ई-ऑफिस फाइल नोटिंग को प्रकाशित किया गया था, पुलिस ने इसी संबंध में उन्हें नोटिस जारी किया है.
महंतेश के समर्थन में आए समाचार पोर्टलों का कहना है कि यह ‘वास्तविक खोजी पत्रकारिता’ कर रहे एक कन्नड़ पोर्टल को परेशान करने का प्रयास है.महंतेश को फाइल नोटिंग के कथित तौर पर लीक होने के संबंध में 5 जनवरी को नोटिस दिया गया था. इसी फाइल नोटिंग के आधार पर पोर्टल ने नवंबर 2022 में एक रिपोर्ट की थी और उसमें इसकी फोटो लगाई गई थी.10 नवंबर 2022 को विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत पर दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) पर कार्रवाई करते हुए बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस ने महंतेश को उस दस्तावेज के स्रोत (Source) का खुलासा करने के लिए कहा था, जिस पर पोर्टल की रिपोर्ट आधारित थी. पुलिस ने स्रोत की पहचान, नाम, पता और पहचान पत्र मांगा था.
सरकारी अधिकारी इस तथ्य के चलते क्षुब्ध प्रतीत होते हैं कि ई-फाइल नोटिंग शिक्षक भर्ती घोटाले में एक आरोपी, एमपी माडेगौड़ा की बहाली से संबंधित है, जिन्हें कर्नाटक टेक्स्ट बुक सोसाइटी के प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है. माडेगौड़ा को घोटाले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत, विभाग के ई-ऑफिस पोर्टल से दस्तावेज को अवैध रूप से एक्सेस करने और लीक करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
द हिंदू ने नोटिस का जवाब देने वाले महंतेश के वकील बीटी वेंकटेश के हवाले से लिखा है कि दस्तावेज ‘सार्वजनिक मामलों’ से संबंधित हैं और सूचना के अधिकार (आरटीआई) से प्राप्त किए जा सकते थे.
उन्होंने तर्क दिया कि स्रोत के हितों की रक्षा के लिए समाचार पोर्टल अपने अधिकारों और कर्तव्य के दायरे में बंधा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘हमने पूछा है कि क्या दस्तावेज को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत एक आधिकारिक गोपनीय दस्तावेज के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.’
इस बीच, महंतेश ने उस स्थिति का वर्णन किया जिसके चलते ‘पत्रकारों के लिए पुलिस कार्रवाई एक नया खतरा’ बन गई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘जैसे-जैसे अधिक से अधिक विभाग पेपरलैस होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे किसी दस्तावेज के लीक होने, अधिकांशत: पत्रकारिता के स्रोतों के जरिये, को साइबर अपराध कानूनों का दुरुपयोग करके आपराधिक बनाया जा रहा है.’
मामले के पीछे के कारणों पर महंतेश ने कहा, ‘यह व्यवस्था के अंदर मौजूद ह्विसलब्लोअर अधिकारियों को डराने और पत्रकारों को प्रताडित करने की कोशिश है.इससे पहले केवल उन दस्तावेजों का लीक होना, जो आधिकारिक गोपनीय की परिभाषा में फिट होते हैं, को अपराध माना जाता था.’
इस बीच, एक अन्य पोर्टल ‘हेट डिटेक्टर’ ने एक ट्वीट में स्रोत का खुलासा करने संबंधी पुलिस के सवाल पर महंतेश के हवाले से कहा कि, ‘किसी घोटाले, अवैधता, कदाचार, कुप्रबंधन के बारे में जानकारी देने वाले स्रोत के नाम और विवरण का खुलासा करना पत्रकारिता की नैतिकता नहीं है.’
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए एक अन्य खोजी पत्रकार और द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के सदस्य नितिन सेठी ने ट्वीट किया, ‘बेंगलुरु पुलिस महंतेश द्वारा कर्नाटक में चलाए जा रहे खोजी पत्रकारिता पोर्टल द फाइल को प्रताड़ित करने के लिए अवैध कार्य कर रही है. मैं उनकी उत्कृष्ट पत्रकारिता के साथ खड़ा हूं. कृपया सहयोग करें.’