नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। केन्द्रीय खनन एवं इस्पात मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने दक्षिण अफ्रीका के माइनिंग इनडाबा में विकास की राह पर तेजी से चल पड़े देश के खनन क्षेत्र में निवेश करने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया।
तोमर ने बुधवार को इंडिया डे सत्र को संबोधित करते हुए जिक्र किया कि ‘भारत का खनन क्षेत्र व्यावसाय के लिए खुला है’। उन्होंने भारत सरकार द्वारा नये कानून में लाए गए बदलाव को रेखांकित किया, जिसमें अब सभी खनन छूटों को नीलामी रूट के जरिए मंजूरी देने का प्रावधान कर दिया गया है। इससे प्रक्रिया न केवल पारदर्शी और निष्पक्ष हो जाएगी, बल्कि किसी प्रकार के भेदभाव के अवसर भी खत्म हो जाएंगे और पहले होने वाली देरी में कमी भी आएगी।
सत्र के दौरान भागीदारों में उल्लेखनीय दिलचस्पी दिखाई दी, जिन्होंने उत्साहपूर्वक विचार-विमर्श सत्र में भाग लिया। इसके बाद भारतीय खनन क्षेत्र का सिंहावलोकन करती हुईं एक छोटी फिल्म दिखाई गई तथा व्याख्यान पेश की गई।
तोमर ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि वैश्वीकरण के इस युग में खनन न केवल घरेलू जरूरतों की पूर्ति के लिए बल्कि बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मांगों को पूरी करने के लिए भी की जाती है। आने वाले वर्षो में खनन के एक प्रमुख उद्योग बन जाने की उम्मीद है, जो भारी निवेश (घरेलू एवं विदेशी दोनों) आकर्षित करेगा, जिससे अतिरिक्त रोजगार का सृजन होगा।
उन्होंने कहा कि आज एकाकी विकास संभव नहीं है, न ही यह अपेक्षित है। हमें एक दूसरे की ताकतों को समझने और सहयोग के लिए क्षेत्रों की खोज करने की जरूरत है। हम भारत और अफ्रीकी क्षेत्रों के बीच साझेदारी के लिए ऐसी संभावना देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत खनिज संसाधनों में समृद्ध है, लेकिन इसके बड़े हिस्से का अभी भी दोहन नहीं हो पाया है। उन्होंने खनन उद्योग के शीर्ष उद्योगपतियों को देश में उत्खनन क्षेत्र में निवेश करने को आमंत्रित किया और उन्हें सभी संभव सहयोग मुहैया कराने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
तोमर ने जिक्र किया कि लीज अवधि को 50 वर्ष तक बढ़ाने और खनिज छूटों की हस्तांतरणनीयता को लागू करने के जरिए भारत एक बेहद मैत्रीपूर्ण निवेश गंतव्य बन गया है।
तोमर ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरूआत की है, जिसका फोकस विनिर्माण क्षेत्र है, जो विभिन्न खनिज अवयवों के लिए मांग में बढ़ोत्तरी को प्रोत्साहित करेगा। भारतीय उद्योगपति एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां विदेशों में खनन क्षेत्र में अच्छे निवेश अवसरों की तलाश में हैं, जिससे कि भारत के घरेलू उद्योग में खनिज अवयवों की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।