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 क्रेडाई की भ्रष्टाचार विरोधी रैली से चरितार्थ हुई “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” वाली कहावत | dharmpath.com

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क्रेडाई की भ्रष्टाचार विरोधी रैली से चरितार्थ हुई “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” वाली कहावत

November 8, 2015 11:01 pm by: Category: ब्लॉग से Comments Off on क्रेडाई की भ्रष्टाचार विरोधी रैली से चरितार्थ हुई “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” वाली कहावत A+ / A-

logoअखबारों में पढ़ा कि क्रेडाई (बिल्डर्स की एसोसिएशन) के सदस्यों ने कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार के विरोध में शांति मार्च किया और ज्ञापना सौंपा। सुबह पोहे के साथ मानसरोवर कांप्लेक्स में कुछ लोगों द्वारा इस बात पर चर्चा की जा रही थी। इन चर्चाओं का निष्कर्ष यह निकाला जा सकता है कि इस प्रदर्शन से सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली वाली कहावत चरितार्थ हो गई।

जी हां हाथों में बैनर लेकर सरकार की गलत नीतियों व भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाने वाले बिल्डरों में ज्यादातर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। आपको बता दें कि इसी क्रेडाई की भोपाल इकाई के पूर्व अध्यक्ष व्यापमं घोटाले में आरोपी हैं। इतना ही नहीं, उनके उपर कई अन्य आरोप भी लगे हैं।

प्रदर्शन के दौरान फोटो खींचवाने वाले एक अन्य बिल्डर (क्रेडाई का पदाधिकारी) पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप भी लग चुका है। इनमें से कई के खिलाफ तो उपभोक्ता फोरम में ग्राहकों ने धोखधड़ी का केस भी कर रखा है। मेरा अनुभव इन बिल्डरों के व्यवसाय को लेकर बहुत अल्प है। लेकिन फिर भी इनके खिलाफ मेरी कलम ने बहुत कुछ लिखा है। उन सभी तथ्यों को आपको बता रहा हूँ।

क्रेडाई संस्था अपने आप में अब भरोसे के लायक नहीं है। कहने को तो यह विश्वसनियता का प्रतीक बताती है, लेकिन असलियत कुछ और है। इस संस्था का सदस्य बनने के लिए बिल्डर को केवल शुल्क अदा करना होता है। उसके बाद बिल्डर क्रेडाई का ठप्पा लगाकर ग्राहकों को लूटना शुरु कर देता है। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं।

आइए हाल ही में प्रकाश में आए फॉरचून बिल्डर की बात आपको बताता हूॅँ। इन्होंने ग्लोरी नाम से एक कालोनी बनाई। इसको बनाते वक्त ग्राहकों से कई वादे किए। उनमें से एक पार्क बनाने का भी था। लेकिन पैसे लेने के बाद बिल्डर ने पार्क को संवारने की बजाय उस स्थान पर दूसरी बिल्डिंग तान दी। इस को लेकर एक ग्राहक ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। एनजीटी की भोपाल बेंच ने बिल्डर को पार्क बनाने का आदेश दिया। यह तो जागरूक ग्राहक थे, जिन्होंने कानून का सहारा लेकर अपने हक की लड़ाई लड़ी। लेकिन कई ऐसे आम आदमी हैं जो एडजस्ट करके हक ही बात ही नहीं करते। यहां यह बताना जरूरी है कि उक्त बिल्डर भी क्रेडाई की कार्यकारिणी के एक अहम पद पर था।

क्रेडाई के सदस्यों द्वारा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इनमें से कई के खिलाफ तो मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भोपाल जिला अदालत में परिवाद तक दायर कर रखा है। ऐसे में इनकी विश्वसनियता पर सवाल तो खड़े होते हैं। राय पिंक सिटी, सिग्नेचर, आदि जैसे बड़े नाम हैं, जिनपर नियमों के उल्लंघन को लेकर या तो नोटिस जारी हुए हैं या फिर कोर्ट में मामला चल रहा है।

ऐसा नहीं है कि ग्राहकों के साथ धोखा-धड़ी ही हो रही है। इन बिल्डरों द्वारा अन्य कई कारनामे भी किए जा रहे हैं। हाल ही में होशंगाबाद रोड पर एक बिल्डर द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर दीवार बना दी गई थी। जिसे कि जिला प्रशासन ने तोड़वा दी। कहीं इसलिए तो नहीं इन्होंने भी विरोध प्रदर्शन किया?

अब जरा आयकर विभाग के छापों के बारे में भी बात कर लें। समस-समय पर बिल्डरों के यहां आयकर के छापे पड़ते रहते हैं। इन छापों  में बिल्डरों द्वारा करोड़ों की चोरी पकड़ी जाती है। वहीं आयकर विभाग के सर्वे के बाद कई बिल्डर अपना कालाधन भी सरेंडर कर चुके हैं। इनके प्रमाण आपको आयकार विभाग से मिल जाएंगे। आंकड़ों की बात करें तो यह अपने आप में चौंकाने वाले हैं।

बातचीत में चाय के दो कप तक पी लिए। पर बात समाप्त नहीं हो पाई। इसे इत्तफाक कहें या फिर कुछ और। इस चर्चा के बाद जैसे ही आगे बढ़ा तो एक राजपत्रित अधिकारी से सामना हुआ। उन्होंने शायद हमारी चाय पर हुई बातें सुनीं होंगी। अचानक ही उन्होंने मुझे रोककर मेरे बारे में जानना चाहा। मैने अपना परिचय देते हुए बात आगे बढ़ाई।

अधिकारी ने मुझे उसकी कार में रखे हुए फाल्डर को दिखाते हुए बोला कि एक बिल्डर ने उन्हें भी धोखा दिया है। मेरे मुंह से सहसा ही निकला कि आप तो बुद्धिजीवी हैं, फिर आप कैसे फेस गए। उन्होंने कहा कि बड़े ब्रांड के चक्कर में फंस गया। आपको बताना जरूरी है कि अधिकारी ने एक बड़ी कंपनी के प्रोजेक्ट में डुप्लेक्स बुक किया था। लेकिन बुकिंग के तीन साल बाद भी उसके डुप्लेक्स का काम शुरु ही नहीें हुआ था, जबकि बिल्डर ने उसे दो साल में पोजेशन देने का वादा किया था। आपको बता दें कि यह भी क्रेडाई के सदस्य ही हैं।

उन्होंने मुझसे पूछा कि क्रेडाई क्या मेरा पैसा लौटाने में मदद कर सकती है। क्या क्रेडाई ऐसे बिल्डरों पर कोई कार्रवाई नहीं करती। उनके इन सवालों पर मैंने सिर्फ इतना ही कहा कि क्रेडाई चलाने वाले यही बिल्डर हैं। सो चोर-चोर मौसेरे भाई। उनको मैने उपभोक्ता फोरम जाने की सलाह दी और आगे बढ़ गया।

मित्रों आपको क्रेडाई से जुड़ी कुछ और भी रोचक जानकारी देता रहूंगा। फिलहाल क्रेडाई की विश्वसनियता पर सवाल जरूर उठ रहे हैं। आप भी थोड़ा संभलकर ही इनसे बुकिंग कराएं। ऐसा नहीं है कि सभी बिल्डर गलत हैं, लेकिन सही को तलाश करना थोड़ा मुश्किल है।

फिलहाल तो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज कर रही है और उम्मीद कर रही है कि और भी चूहे मिलें। अब भ्रष्टाचार कैसे रुके।
प्रवेश गौतम के ब्लॉग से

क्रेडाई की भ्रष्टाचार विरोधी रैली से चरितार्थ हुई “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” वाली कहावत Reviewed by on . अखबारों में पढ़ा कि क्रेडाई (बिल्डर्स की एसोसिएशन) के सदस्यों ने कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार के विरोध में शांति मार्च किया और ज्ञापना सौंपा। सुबह पोहे के साथ मानसरो अखबारों में पढ़ा कि क्रेडाई (बिल्डर्स की एसोसिएशन) के सदस्यों ने कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार के विरोध में शांति मार्च किया और ज्ञापना सौंपा। सुबह पोहे के साथ मानसरो Rating: 0
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