नई दिल्ली – भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा है कि जिस तरह से संक्रमण फैला हुआ है, उसे देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर आना तय है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, ”हमें ये नहीं पता है कि तीसरी लहर कब आएगी लेकिन हमें कोविड-19 के प्रोटोकॉल को जारी रखते हुए इसके लिए तैयार रहना चाहिए.”
विजयराघवन कहते हैं कि नए म्यूटेंट से निपटने के लिए वैक्सीन को अपडेट करना ज़रूरी था. वह मानते हैं कि वायरस ने जब म्यूटेट करना शुरू किया उसके बावजूद इसके संक्रमण को रोकने के लिए लोगों द्वारा अपनाई जा रही सावधानियों में कोई बदलाव नहीं किया गया.
वह कहते हैं, ”हमें कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैक्सीन लगवाना चाहिए. हम वैज्ञानिक इस वायरस को मैप करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि हमें इसमें होने वाले बदलाव का अंदाज़ा रहे और हम इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें.”गृह मंत्रालय की ओर से एक चेतावनी जारी की गई है कि बेंगलुरु (शहर), चेन्नई, कोझिकोड, इर्नाकुलम, थिसुर, मल्लापुर (केरल), गुरुग्राम और पटना में बीते दो सप्ताह में वायरस से संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ”कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार में कोविड के हर दिन सामने आने वाले नए केस में बढ़ोतरी हो रही है. वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में संक्रमण से होने वाली मौत के आँकड़े बढ़ रहे हैं.”
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी.के पॉल ने बताया कि यह बीमारी जानवरों के ज़रिए नहीं फैल रही है बल्कि मानव से मानव के बीच इसका संक्रमण फैल रहा है.कोरोना की भारत में दूसरी लहर के बारे में सबले अचंभित करने वाली क्या बात है? इस सवाल के जवाब में वियजराघवन कहते हैं कि हमने हालात को हल्के में लिया, जिससे वायरस को फैलने का मौक़ा मिल गया.
उन्होंने कहा, ”कई बार साधारण इम्युनिटी संक्रमण को रोकने के लिए काफ़ी नहीं होती. जब तक हम नई इम्युनिटी तक पहुँचते तब तक कई लोगों में नए म्युटेंट का संक्रमण फैल गया. पहली लहर से मुक़ाबले दूसरी लहर छोटी होती है और दूसरी लहर आने की आशंका थी लेकिन कई छोटी-छोटी चीज़ों ने मिलकर इसे बड़ा बना दिया. देखा जाए तो यो छोटे-छोटे फैक्टर होते हैं और एक साथ मिलकर काफ़ी बड़े हो जाते हैं.”
दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर बढ़े संक्रमण से ये भी पता चलता है कि पहली लहर में ज़्यादातर लोगों में इम्युनिटी नहीं आ सकी थी. लॉकडाउन सहित कई कदम उठाने से ज़्यादा हिस्से तक संक्रमण नहीं पहुंच सका था.