नई दिल्ली, 5 जनवरी – साल 2020 में फिर से राहुल गांधी का कांग्रेस में उभार होगा, जबकि उनकी बहन प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की राजनीति में ज्यादा सक्रिय होंगी। उम्मीद है कि इस साल राहुल गांधी वापस पार्टी अध्यक्ष के रूप में फिर से कार्यभार संभाल सकते हैं, क्योंकि पार्टी के भीतर अलग-अलग वर्गो से उन्हें शीर्ष पद फिर से दिए जाने की मांग हो रही है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चाहती हैं कि राहुल गांधी पद संभालें।
पार्टी मामलों पर नियंत्रण नहीं होने के बावजूद राहुल गांधी कांग्रेस के अभियानों का चेहरा बने हुए हैं। वह सरकार पर कई मुद्दों को लेकर हमला करने में अग्रिम मोर्चे पर हैं।
कांग्रेस, पार्टी के शीर्ष पर एक फाइटर की कमी महसूस कर रही है और राहुल गांधी वह महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
हालांकि, सोनिया गांधी ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में राजघाट पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ कांग्रेस के ‘सत्याग्रह’ का नेतृत्व किया, लेकिन सोनिया गांधी काफी समय से पार्टी अभियानों का सक्रिय हिस्सा नहीं रही हैं।
राहुल गांधी पार्टी में युवा नेताओं को आगे बढ़ा रहे हैं और महाराष्ट्र में मंत्री पदों को अंतिम रूप देने में सहायक रहे हैं, जिसमें उन्होंने काफी युवा चेहरों को शामिल किया है।
इस बीच प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में अलग-अलग मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को घेरकर लोगों को अचरज में डालने का काम किया है। इन मुद्दों में सोनभद्र आंदोलन और सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की क्रूरता शामिल है।
प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश में ज्यादा समय देने की संभावना है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 1989 से सत्ता से बाहर है और उसे वहां एक करिश्माई नेतृत्व की जरूरत है।
प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में पहली परीक्षा 2022 के विधानसभा चुनाव में होगी। इससे पहले कांग्रेस व प्रियंका गांधी को इस साल निर्धारित पंचायत चुनावों के दौरान अपना आधार बनाने का एक अवसर मिलेगा।
हालांकि, प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव में सक्रिय रही, लेकिन पार्टी के लिए अपेक्षित परिणाम नहीं दे सकीं, लेकिन वह 2020 में सुर्खियों में बनी रहेंगी।