Wednesday , 6 November 2024

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‘क्या राष्ट्रपति मेरा कैंसर ठीक कर सकते हैं?’ (15 फरवरी : अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस)

नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। रक्त कैंसर से पीड़ित आठ साल का मासूम धर्मेश अपने शिक्षक से पूछता है कि ‘राष्ट्रपति भवन क्या होता है?’ इससे पहले कि उसके शिक्षक मेहरोज इसका जवाब देते, वह अगला सवाल पूछता है कि ‘वहां कौन रहते हैं? क्या वह मेरा कैंसर ठीक कर देंगे?’ वह ये सवाल एक पोस्टर तैयार करते हुए करता है, जिस पर लिखा है, ‘मैं एक बेहतर वातावरण का भी हकदार हूं।’

नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। रक्त कैंसर से पीड़ित आठ साल का मासूम धर्मेश अपने शिक्षक से पूछता है कि ‘राष्ट्रपति भवन क्या होता है?’ इससे पहले कि उसके शिक्षक मेहरोज इसका जवाब देते, वह अगला सवाल पूछता है कि ‘वहां कौन रहते हैं? क्या वह मेरा कैंसर ठीक कर देंगे?’ वह ये सवाल एक पोस्टर तैयार करते हुए करता है, जिस पर लिखा है, ‘मैं एक बेहतर वातावरण का भी हकदार हूं।’

धर्मेश के साथ कैंसर पीड़ित 500 से अधिक बच्चे और उनके परिवार के सदस्य 15 फरवरी को राष्ट्रपति भवन घूमने की तैयारी कर रहे हैं, जहां नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने 14वें अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस (आईसीसीडी) 2015 के अवसर पर उनके लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया है। उन्हें उम्मीद है कि यहां राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात होगी।

कार्यक्रम का आयोजन एक गैर-सरकारी संगठन की ओर से किया जा रहा है, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग अस्पताल, कलावती सरन बाल अस्पताल, अपोलो, मैक्स, मेदांता, राजीव गांधी कैंसर इस्टीट्यूट एंड रीसर्च सेंटर तथा श्रॉफ आई हॉस्पीटल जैसे सरकारी एवं निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे बच्चे शामिल होंगे।

रक्त कैंसर की बीमारी से ठीक होने वाले 23 साल के चंदन कुमार तथा 21 साल के सोनू पीयूष नारायण ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेष आमंत्रण भेजा है, जिसका नाम ‘राष्ट्रपति के साथ चाय और समोसा’ रखा गया है।

सोनू ने आईएएनएस से कहा, “हम राष्ट्रपति से देश में बाल कैंसर को खास तवज्जो देने का अनुरोध करना चाहते हैं। देश में बाल कैंसर के ठीक होने की दर जहां 70-95 प्रतिशत है, वहीं इससे होने वाली मृत्यु दर 50-70 प्रतिशत है।”

सोनू ने कहा, “वर्ष 2006 में मैं और चंदन, दोनों कैंसर से लड़ रहे थे। हम राष्ट्रपति भवन गए और तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से मिले। वह बहुत सहृदय और ध्यान रखनेवाले इंसान हैं। उन्होंने हमसे बात करने का समय निकाला, हमारे साथ तस्वीरें खिंचवाई और चाय पी।”

वहीं, गैर-सरकारी संगठन ‘कैनकिड्स किड्सकैन’ के कार्यक्रम प्रबंधक (जागरूकता एवं परामर्श) कपिल चावला, जो राष्ट्रपति भवन जाने के कार्यक्रम का समन्वय भी कर रहे हैं, ने कहा कि आईसीसीडी के अवसर पर एम्स के परिसर में एक जागरूकता दौड़ भी आयोजित की जाएगी, जिसे एम्स के निदेशक एम.सी. मिश्रा सुबह 7.30 बजे झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

‘कैनकिड्स किड्सकैन’ के साथ 1,000 से अधिक चिकित्सक, बीमारी से बचने वाले लोग और मुहिम के समर्थक ‘रन फॉर चाइल्डहुड कैंसर’ के तहत पांच किलोमीटर तक दौड़ लगाएंगे और बचपन में होने वाले कैंसर से जंग को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाएंगे।

रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि शशांक पुनिया ने आईएएनएस से कहा, “यह पहली बार होगा जब चिकित्सक मरीजों के लिए दौड़ेंगे।”

एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डॉक्टर अनुराग ने कहा, “जागरूकता दौड़ में शामिल होना सम्मान की बात है। यह एक ओर स्वास्थ्य के लिए अच्छा है तो एक बेहतर उद्देश्य भी इसके पीछे है।”

आईसीसीडी का आयोजन हर साल 15 फरवरी को किया जाता है। इस साल इसका थीम ‘एक्सेस टू केयर’ है, जिसके तहत ‘कैनकिड्स किड्सकैन’ ने 21 शहरों और 42 कैंसर केंद्रों पर 45 दिन का अभियान चलाया है।

एम्स के निदेशक मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, “इस तरह के अभियान से लोगों में यह जागरूकता आती है कि कैंसर का यदि शुरू में ही पता चल जाए तो इसका निदान किया जा सकता है। यह प्रभावित बच्चों एवं परिवारों के लिए वित्तीय सहायता एकत्र करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।”

वहीं, ‘कैनकिड्स किड्सकैन’ की संस्थापक अध्यक्ष पूनम बगाई ने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कैंसर पीड़ित बच्चों को सर्वश्रेष्ठ संभावित उपचार एवं देखभाल मिल सके।”

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