धुनों में जान फूंकने वाले संगीतकार एआर रहमान ने अपने खिलाफ जारी हुए फतवे का जवाब दिया. उन्होंने फतवा जारी करने वालों को इस्लाम के बारे में अपनी समझ से आगाह कराया.शर्मीले स्वभाव वाले संगीतकार एआर रहमान आम तौर पर मीडिया से दूर रहते हैं. वो अपनी आस्था और अपने विचारों के बारे में भी सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करते हैं. अपने काम का प्रचार करने के लिए वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूर करते हैं. लेकिन फतवे के रूप में देखी जा रही रिजवी अकादमी की आलोचना ने उन्हें बेचैन किया है. जवाब देने के लिए रहमान इस बार फेसबुक पर सामने आए. उन्होंने लिखा, “अगर मेरी किस्मत अच्छी रही और फैसले के दिन अगर अल्लाह मुझसे पूछेगा कि: मैने तुम्हें आस्था, प्रतिभा, पैसा, शोहरत और सेहत दी…तुमनें मेरे प्यारे मुहम्मद पर बनी फिल्म में संगीत क्यों नहीं दिया? एक फिल्म जिसका मकसद इंसानियत को एक करना, गलतफहमियों को दूर कर मेरा संदेश देना कि जिंदगी का मतलब ही दया, गरीबों की मदद और इंसानियत की सेवा है, न कि मेरे नाम पर मासूमों की बर्बर हत्या करना है.”
2008 में स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए ऑस्कर जीतने वाले रहमान आलोचना से आहत हैं. हिन्दू परिवार में पैदा हुए रहमान ने 23 साल की उम्र में इस्लाम अपनाया. उन्होंने अपना नाम भी बदला. पहले उनका नाम दिलीप कुमार था, जिसे बदलकर उन्होंने अल्लाह रक्खा रहमान कर लिया.
इस बीच ईरान सरकार भी फिल्म के बचाव में आई है. दिल्ली में ईरानी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा, “माजिद माजिदी की फिल्म एक कलात्मक काम है और इसे देखने के बाद ही इसके बारे में राय व्यक्त करनी चाहिए. फिल्म देखने से पहले ही उसके बारे में गर्मागर्म बहस शुरू करना शायद गलत, तर्क से परे और सही नहीं होगा.” ऑल इंडिया पर्सनल शिया लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना जहीर अब्बास रिजवी ने उलेमाओं से अपील की है कि वे फतवा जारी करने से पहले सावधानी बरतें.
फतवा जारी करने वाली रजा अकादमी के महासचिव सईद नूरी ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने और मुफ्ती महमूद अख्तरुल कादरी ने फिल्म नहीं देखी है. ऑस्कर विजेता रहमान के खिलाफ फतवा मुंबई की रजा अकादमी ने जारी किया. रहमान ने पैंगबर मुहम्मद पर बनी ईरानी फिल्म “मुहम्मद: मैसेंजर ऑफ गॉड” में संगीत दिया है.
इससे नाराज अकादमी ने रहमान और फिल्म निर्देशक माजिद माजिदी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. अकादमी का कहना है कि फिल्म से जुड़े मुसलमानों को दोबारा कलमा पढ़कर इस्लाम में दाखिल होना चाहिए. केंद्र सरकार को भी पत्र लिखकर फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अकादमी ने सिर्फ आलोचना की है, जिसे फतवा नहीं कहा जाना चाहिए.