नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच कर रहे विशेष न्यायालय ने सोमवार को कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कार्य ईमानदार प्रतीत नहीं होता।
न्यायालय ने इसके अलावा नागपुर की खनन कंपनी ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जीआईएल) से जुड़े मामले में आगे की जांच शुरू करने के आदेश भी दिए।
विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जीआईएल से जुड़े मामले में सरकारी अधिकारियों और कंपनी के अधिकारियों के बीच सांठ-गांठ की जांच करने के लिए कहा।
तत्कालीन कोयला राज्य मंत्री दासारी नारायण राव द्वारा महाराष्ट्र के लोहारा (पूर्व) कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए जीआईएल को विशेष रूप से ‘अयोग्य’ करार दिए जाने वाली टिप्पणी का संदर्भ देते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबंधित फाइल सौंपते समय इस बात का विशेष तौर पर उल्लेख करना चाहिए था।
उल्लेखनीय है कि उस समय मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का पदभार भी था।
न्यायालय ने कहा, “इन परिस्थितियों में मुझे कहना पड़ेगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों तक का काम सही प्रतीत नहीं होता।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।