नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली में “पारदर्शिता, जवाबदेही और वस्तुनिष्ठता का अभाव” है।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली में “पारदर्शिता, जवाबदेही और वस्तुनिष्ठता का अभाव” है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त करने का सामूहिक आदेश देने वाले पांच न्यायाधीशों में से एक न्यायाधीश कुरियन ने अपना फैसला अलग से सुनाया। इसमें उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली में कई कमियों और इनमें सुधार की जरूरत बताई है।
अपने फैसले में जस्टिस कुरियन ने कहा है कि “विश्वास की कमी” कॉलेजियम प्रणाली की साख पर असर डाल रही है।
उन्होंने कहा, “कॉलेजियम प्रणाली को ‘ग्लास्नोस्त’ और ‘प्रेरेस्त्रोइका’ (व्यवस्था में सुधार के रूसी शब्द) के जरिए सुधारने की जरूरत है और इसीलिए इस मामले को अभी आगे सुने जाने की जरूरत है।”
न्यायाधीश कुरियन ने कहा है कि कॉलेजियम प्रणाली पर बहुत अधिक व्यक्तिपरक होने के आरोप लगते रहे हैं और कई बार ये गलत भी नहीं होते।
उन्होंने फैसले में कहा है, “निजी सोचों की वजह से कई बार योग्य लोगों की (बतौर न्यायाधीश नियुक्ति में) अनदेखी कर दी जाती है। सामाजिक और अन्य राष्ट्रीय सच्चाइयों को अनदेखा कर दिया जाता है। कुछ नियुक्तियों को जान बूझकर टाल दिया जाता है ताकि जो पसंद हैं उन्हें फायदा मिल जाए या जिन्हें कम संरक्षण मिला हुआ है उन्हें फायदा न मिल सके। संरक्षण प्राप्त या पसंद के लोगों को दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन करते हुए चुन लिया जाता है। नजीता यह होता है कि नियुक्ति भले ही बुरी न हो लेकिन कम योग्यता वाली हो जाती है। कॉलेजियम प्रणाली का तानाशाहीपूर्ण रुख न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर अगर नहीं तो भी आत्मसम्मान और इज्जत पर चोट पहुंचाता है। “