अलेप्पी, 4 फरवरी (आईएएनएस)। यहां के कॉयर केरल-2016 मेले में आपको नारियल की जटा (कॉयर) से बने कई नए उत्पाद देखने को मिलेंगे। मेले में प्रवेश करते ही ऐसा छाता दिखा, जो धूप से तो बचाता है, लेकिन बारिश से नहीं। ऐसे ही तरह-तरह के उपयोगी सामान मेले में उपलब्ध हैं। यह मेला शुक्रवार तक चलेगा।
अलेप्पी, 4 फरवरी (आईएएनएस)। यहां के कॉयर केरल-2016 मेले में आपको नारियल की जटा (कॉयर) से बने कई नए उत्पाद देखने को मिलेंगे। मेले में प्रवेश करते ही ऐसा छाता दिखा, जो धूप से तो बचाता है, लेकिन बारिश से नहीं। ऐसे ही तरह-तरह के उपयोगी सामान मेले में उपलब्ध हैं। यह मेला शुक्रवार तक चलेगा।
विभिन्न आकारों वाले ये छाते नारियल के पेड़ से निकलने वाली रेशेदार वस्तुओं से बने हैं, जो कड़ी धूप में छाया दे सकते हैं, मगर बारिश में पानी सोख लेने पर ये भारी हो जाते हैं।
राज्य के पारंपरिक उद्योग के मशीनीकरण के बाद कई नए उत्पाद सामने आए हैं, जिनमें ये छाते भी हैं। ऐसे कॉयर सर्वाधिक आम दिखने वाला उत्पाद है पायदानी (डोरमैट)।
मेले में एक कोट भी दिखा, जो कपास और नारियल की जटा से काती गई सूत से बना हुआ है।
बागवानी में रुचि लेने वालों के लिए यहां बागवानी में काम आने वाले अन्य सामान के साथ ही प्लास्टिक के गमलों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प भी है, जो नारियल के उत्पादों से बना है।
राजस्व एवं कॉयर मंत्री अदूर प्रकाश ने कहा, “कॉयर के गमले एक नया चलन है, जिसके लोकप्रियता मिलेगी, क्योंकि प्लास्टिक के विकल्प तलाशे जा रहे हैं।”
यह उद्योग विपणन के चतुर तरीके भी अपना रहा है। इस उद्योग के कारण कई घरों की दीवारों पर कुंगफू मास्टर ब्रुसली की तस्वीर दिखने लगी है।
केरल राज्य कॉयर निगम लिमिटेड (केएससीसी) ने एक वाल हैंगिंग बनाई है, जिसमें ब्रुसली को ‘एंटर द ड्रैगन’ की मशहूर मुद्रा में दिखाया गया है। यह वाल हैंगिंग मेले का एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।
केएससीसी अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने कहा, “हम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजार पर ध्यान दे रहे हैं।”
मेले के अन्य प्रमुख आकर्षणों में एक है रूफ टॉप कूलिंग प्रणाली, जो बाजार तक पहुंच चुकी है।
इस प्रौद्योगिकी का विकास करने वाले केंद्रीय कॉयर शोध संस्थान (सीसीआरआई) के कोमल कुमार ने कहा कि कुछ शिक्षा संस्थान इस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
मेले में नारियल उत्पादों से बने लैपटॉप बैग, पिट्ठ बैग और टेबल-कुर्सियां तथा अन्य फर्नीचर भी देखे जा सकते हैं।
नारियल के कॉयर का एक उप-उत्पाद है उर्वरक।
राष्ट्रीय कॉयर शोध एवं प्रबंधन संस्थान के निदेशक केआर अनिल ने कहा, “यह उर्वरक काफी प्रभावी है।” उन्होंने आईएएनएस से कहा कि यह मात्र करीब सात रुपये प्रति किलो की दर से मिल जाता है।
कॉयर उद्योग राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है और इससे लाखों लोग जुड़े हैं।