नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। मशहूर गायक और डीयू के पूर्व छात्र कैलाश खेर को इस बात का कोई मलाल नहीं है कि वह विश्वविद्यालय में एक पत्राचार पाठ्यक्रम (कोरेस्पोंडेस कोर्स) ही कर पाए।
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। मशहूर गायक और डीयू के पूर्व छात्र कैलाश खेर को इस बात का कोई मलाल नहीं है कि वह विश्वविद्यालय में एक पत्राचार पाठ्यक्रम (कोरेस्पोंडेस कोर्स) ही कर पाए।
कैलाश (42) कहते हैं कि वह जब दिल्ली में थे, तो उनके पास करने के लिए ढेरों काम होते थे और इसलिए वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे सके। शुरुआत में वह इसे लेकर सतर्क रहे, लेकिन अब वह अपने उन दिनों की ओर मुड़कर नहीं देखते।
कैलाश को इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों यश भारती अवार्ड मिला। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मुझे शुरुआत में थोड़ा अजीब लगता था, क्योंकि मैंने सही से पढ़ाई नहीं की। अब ठीक है। मैं इतने डिग्री धारी लोगों से मिला हूं, लेकिन वे महान मनुष्य हों, यह जरूरी नहीं।”
मेरठ से ताल्लुक रखने वाले कैलाश का कहना है कि पहले उनमें कम पढ़े-लिखे होने की वजह से एक ‘हीनभावना’ थी।
उन्होंने कहा कि मुझे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों की ओर से प्रेरक भाषण देने का न्योता मिलने के बाद अहसास हुआ कि ‘शाब्दिक डिग्री’ मायने नहीं रखती।
कैलाश ने कहा, “असल डिग्री आपका चरित्र है। मुझे कतई मलाल नहीं (कॉलेज में न पढ़ने का) है। ईश्वर ने मुझे अब दुनिया को आलोकित करने के लिए ज्यादा बड़ी चीज दी है। इसलिए अफसोस करने की बजाय मैं एहसानमंद हूं।”
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जवाब में कैलाश ने कहा, “उस वक्त पैसा ही एकमात्र चिंता नहीं थी। लाचारी भी थी। मैं अपने मां-बाप की देखरेख कर रहा था। जीविकोपार्जन के लिए पैसा कमाने की जद्दोजहद कर रहा था। आपको मालूम ही है कि विद्यार्थी जेब खर्च के लिए कैसे चीजें करने की कोशिश करते हैं। मैं संगीत भी सीख रहा था। इसलिए मैं किसी एक चीज पर ध्यान नहीं दे सका। बदकिस्मती से मेरे पास अब भी वक्त नहीं है।”