त्रिशूर(केरल), 12 मई (आईएएनएस)। प्रसिद्ध त्रिशूर पूरम उत्सव की शुभारंभ रविवार को होने के बाद करीब 10 हजार लोग इसमें शामिल हुए। इस उत्सव में 54 वर्षीय गजराज को शामिल होने की अनुमति नहीं मिली थी, हालांकि शनिवार को इस आदेश को वापस ले लिया गया था।
वडक्कुमनाथन मंदिर में करीब 10.30 बजे सुबह तेचीकोत्तूकावु रामचंद्रन नामक इस गजराज को वाहन से लाया गया था। गजराज ने प्रतीकात्मक रूप से मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार को धक्का देकर खोला, जो उत्सव के शुभारंभ का संकेत था।
हालांकि जिला कलेक्टर टी. वी. अनुपमा के निर्देश पर एक घंटे बाद गजराज को वापस बुला लिया गया, जिससे कई दर्शकों को निराशा हाथ लगी।
लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी और पूर्व कांग्रेसी विधायक टी. एन. प्रथापन ने कहा, “रामचंद्रन ने उचित व्यवहार किया। उसे रस्म को पूरा करने की अनुमति मिल गई थी..”
शनिवार को पशु चिकित्सकों ने रामचंद्रन की करीब एक घंटे जांच की थी। मालूम हो कि अतीत में रामचंद्रन ने करीब सात लोगों को मार डाला था और इसे काबू में करना काफी मुश्किल है।
चिकित्सकों के दल ने उसे सभी गतिविधियों के लिए फिट बताया था, जिसकी रिपोर्ट अनुपमा को देने के बाद रामचंद्रन को 2014 से चली आ रही परंपरा को इस साल भी पूरा करने की अनुमति दी गई।
त्रिशूर पूरम को राज्य में होने वाले सभी त्यौहारों की मां के तौर पर माना जाता है। पूरम की परंपरा 18वीं सदी से चली आ रही है। इसकी शुरुआत कोच्चि राज्य के पूर्व महाराज सकथन थामपुरन ने की थी।
इस उत्सव में सबसे अधिक उत्सुकता 50 हाथियों और पटाखों के प्रदर्शन को लेकर रहती है, जिसकी शुरुआत सोमवार को दोपहर से होगी और मंगलवार को घंटों तक जारी रहेगा।